ब्रैम्पटन। ब्रैम्पटन सेंटर और ईस्ट के एनडीपी उम्मीदवारों सुखअमृत सिंह और मारटीन सिंह ने ओंटेरियो के औशवा प्रांत से लिबरल उम्मीदवार विरेश बंसल द्वारा की गई टिप्पणी का कड़े शब्दों में निंदा की हैं, एनडीपी उम्मीदवारों का मानना है कि वर्तमान चुनाव प्रचार से लोगों का ध्यान हटाने के लिए लिबरल उम्मीदवार इस प्रकार की पुरानी बातों को उठा रहे हैं, जिससे जनता का ध्यान वर्तमान चुनाव के मुद्दों से हट जाएं और वे एक बार फिर से निज्जर हत्याकांड के विषयों में उलझकर रह जाएं।
ज्ञात हो कि वर्ष 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कैनेडा में कर दी गई थी, जिसके लिए पिछले वर्ष जांच अधिकारियों ने भारत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इस हत्याकांड में कुछ भारतीय अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने इस घटना को भारत में बैठे-बैठे अंजाम दिया था। ज्ञात हो कि हरजीत सिंह निज्जर की हत्या गत 18 सितम्बर, 2023 को कर दी गई थी।
बंसल ने इसके अलावा कंसरवेटिव उम्मीदवार व सांसद टिम उप्पल पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि आगामी समय उनके लिए और अधिक कठिन हो सकता हैं। यहीं नहीं एनडीपी उम्मीदवारों के साथ-साथ विश्व सिख संस्था ने भी बंसल की टिप्पणी पर सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि ओंटेरियो से लिबरल उम्मीदवार विरेश बंसल द्वारा कहे गए शब्द पूर्ण रुप से अनुचित हैं और इसके लिए उन्हें पूरे सिख समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।
यहीं नहीं उन्हें अपना नाम इस चुनाव प्रणाली से वापस लेने की भी सार्वजनिक घोषणा कर देनी चाहिए। संस्था का यह भी मानना है कि बंसल के शब्द केवल किसी के ऊपर आरोप भर नहीं अपितु पूरे देश में अराजकता फैलाने वाले शब्द हैं, जिसके लिए आम जनता कभी भी उन्हें क्षमा नहीं करेगी। एनडीपी उम्मीदवारों ने यह भी बताया कि ओंटेरियो लिबरल हमेशा ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव में खड़ा करते हैं, जो सिख विरोधी होते हैं, इसी कारण से यह मामला और अधिक तूल पकड़ रहा हैं।
ज्ञात हो कि गत नवंबर, 2024 में कैनेडा के कुछ समाचार पत्रों ने इस बारे में खबर प्रकाशित की थी कि भारतीय एजेंसियों ने निज्जर की हत्या भारत सरकार के उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के इशारों पर किया था। भारत ने इस पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। इस पर कैनेडा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नथाली जी ड्राउन ने कहा था कि, उनके पास इस तरह की कोई सबूत नहीं है जो भारत के शीर्ष राजनीतिक हस्तियों के कनाडा में गंभीर आपराधिक मामले से संबंधित करते हों। खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर मामले को लेकर भारत-कैनेडा में विवाद के बीच अब अमेरिका का भी बयान आया है।
अमेरिका ने भारत पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि,”भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं। हम चाहते हैं कि भारत सरकार कनाडा के साथ जांच में मदद करे।” भारत ने अब तक ऐसा नहीं किया है। इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने सोमवार को दावा किया था कि भारतीय सरकार के अधिकारी निज्जर की हत्या में शामिल थे।
ये पहली बार नहीं है जब भारत और कनाडा के बीच तनाव पर अमेरिका ने टिप्पणी की है। पिछले साल सितंबर महीने में कैनेडियर्न च्ड ट्रूडो ने संसद में भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। तब भी अमेरिका ने भारत से जांच में सहयोग करने की बात कही थी। कैनेडा ने भारत को एक चिट्ठी भेजी। इसमें कहा कि भारतीय हाई-कमिश्नर संजय कुमार वर्मा और दूसरे डिप्लोमैट्स एक मामले में संदिग्ध हैं।
कनाडा ने मामले की जानकारी नहीं दी, पर इसे निज्जर मामले से जोड़कर देखा गया। भारत ने अपने डिप्लोटमैट्स को संदिग्ध बताए जाने पर विरोध जताया और कनाडा के राजदूत को तलब किया। कुछ ही घंटों बाद भारत ने संजय कुमार वर्मा और दूसरे डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया। देर रात खबर आई की कनाडा ने भी भारत से अपने 6 राजदूतों को वापस आने का आदेश दिया है। कैनेडियन प्रधानमंत्री ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स के सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया। अमेरिकी मीडिया हाउस ने दावा किया है कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह और रॉ एजेंसी ने मिलकर कैनेडा में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और खालिस्तानी आतंकियों पर हमले की इजाजत दी थी।
एक कैनेडियन अधिकारी के हवाले से बताया गया कि भारतीय डिप्लोमैट्स कई लोगों पर कैनेडा जाने की इजाजत के बदले खुफिया जानकारी देने का दबाव बनाते थे। इस काम का नेतृत्व कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर संजय वर्मा करते थे। रिपोर्ट के मुताबिक 12 अक्टूबर को कैनेडा के एनएसए ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक मीटिंग में इसकी जानकारी भी दी थी।
कैनेडा पुलिस ने कहा, भारतीय एजेंट्स ने कई जानकारियां जुटाईं कनाडाई पुलिस के कमिश्नर माइक दुहेमे ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि कैनेडा में भारतीय राजनयिक और अधिकारियों ने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर गुप्त तरीके से भारत सरकार के लिए जानकारियां जुटाई हैं। इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने एजेंट्स का इस्तेमाल किया। इनमें से कुछ एजेंट्स को भारत सरकार के साथ काम करने के लिए धमकाया गया और उन पर दबाव बनाया गया।
उन्होंने बताया कि भारत ने जो जानकारी जुटाई, उसका इस्तेमाल दक्षिण एशियाई लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है। हमने भारत सरकार के अधिकारियों को इसके सबूत दिए थे और उनसे हिंसा को रोकने और सहयोग करने की अपील की थी।Ó
दोनों देशों के बीच तनाव की वजह खालिस्तानी आतंकी निज्जर, पिछले साल हत्या हुई थी 18 जून 2023 की शाम को कैनेडा के सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
कैनेडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पिछले साल 18 सितंबर को भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था। इसके बाद 3 मई को निज्जर की हत्या के 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ये तीनों आरोपी भारतीय हैं। कैनेडियन पुलिस ने कहा कि इन पर पुलिस कई महीनों से नजर रखे हुई थी। उन्हें यकीन है कि इन्हें भारत ने निज्जर को मारने का काम सौंपा था। तब भारत ने इस मामले पर कहा था कि यह कैनेडा का आंतरिक मामला है।
ट्रुडो के लिए निज्जर का मुद्दा अहम क्यों :
कैनेडा में अक्टूबर 2025 में संसदीय चुनाव हैं। खालिस्तान समर्थकों को कैनेडियन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पार्टी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हालांकि, पिछले महीने ही ट्रुडो सरकार में शामिल खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की छक्च् पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रुडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। 2021 की जनगणना के मुताबिक, कनाडा की कुल आबादी 3.89 करोड़ है। इनमें 18 लाख भारतीय हैं। ये कैनेडा की कुल आबादी का 5 प्रतिशत हैं। इनमें से 7 लाख से अधिक सिख हैं, जो कुल आबादी का 2 प्रतिशत हैं।