कोसी के छोरे सात समुन्दर पार ले रहे फेरे
टोरंटो, हाल के वर्षो में कोसी अंचल में प्यार की जीत हो रही है और परिजन हार रहे हैं। गांव- शहर ही नहीं सात समुन्दर पार भी कोसी के छोरे सात फेरे ले रहे हैं। एक समय ऐसा भी था जब लोग यहां अंतरजातीय शादी को गुनाह मानकर वर तथा वधू से मुंह फेर लेते थे। या फिर उनका सामाजिक स्तर पर बहिष्कार कर देते थे। किंतु आधुनिकता तथा वैश्र्विकरण के इस दौर में पारंपरिक सामाजिक बंधन को तोड़ते हुए कोसी के छोरे देशी ही नहीं विदेशी लड़कियों से शादी कर चैन की जिन्दगी बीता रहे हैं और परिवार तथा समाज अब प्रभावशाली विरोध की स्थिति में नहीं होने के चलते उन्हें स्वीकार करने लगे है। यानी यह कहा जा सकता है कि कोसी में प्यार जीत रहा है और परिजन हार रहे हैं। जानकारी के अनुसार सदर थाना मधेपुरा के साहुगढ़ निवासी इंजीनियर कमलाकांत के छोटे पुत्र प्रवीण कुमार बंगलौर स्थित एक कंपनी में कार्यरत हैं। वहीं उनका दिल भूटान की एक लडक़ी से लग गया। दोनों ने शादी कर ली। लडक़ी अभी अमेरिका में रहती है और समय मिलने पर दोनों अपने गांव आते हैं। सहरसा जिले के सरडीहा निवासी डा.ब्रजेश कुमार सिंह इंग्लैंड में पढ़ते थे। इसी दौरान उन्हें इंग्लैंड की लडक़ी कैट्रीना मैकडोनाल्ड से प्रेम हो गया। सात फेरे लेने के बाद दोनों एक हो गए। अभी डा.सिंह आस्ट्रेलिया के सिडनी में हंसी-खुशी जीवन बीता रहे हैं। उक्त दोनों 10 अप्रैल 2013 को गांव आए थे। जहां परिजनों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया। सुपौल जिले के बरैल निवासी इंजीनियर विक्रम कैनेडा में नौकरी करते थे। इसी दौरान वहीं की एक लडक़ी से उनकी आंखें चार हो गई। प्यार परवान चढ़ा और विक्रम ने रोजी नामक विदेशी लडक़ी से शादी रचा ली। सुपौल जिले के कर्णपुर निवासी ईश्वर कुमार झा अमेरिका में अभियंता हैं। अमेरिका में ही उन्होंने एक अमेरिकन लडक़ी से शादी रचा ली। शादी के बाद गांव आने के बाद उन्हीं ग्रामीणों ने उनके इस फैसले का भरपूर समर्थन किया जो कभी अंत्यज लडक़ी से शादी करने वाले पूर्व सांसद चंद्रकिशोर पाठक को 15 साल के लिए गांव छोडऩे के लिए विवश कर दिया था। यानी आज के इस दौर में प्रेम के सामने परंपरा के साथ परिजन भी लाचार हैं। बशर्ते लडक़ा आर्थिक व शैक्षणिक रूप से मजबूत हो।
कर्णपुर में स्व.पाठक को मिला था 15 साल का गांव निकाला : एक समय ऐसा भी था जब कोसी अंचल के कर्णपुर निवासी कर्म कांडों के ब्राह्माणों वर्ष ने वर्ष 1954 में एक अंत्यज लडक़ी से शादी करने के आरोप में पूर्व सांसद चंद्रकिशोर पाठक को 15 साल के लिए गांव से बाहर निकाल दिया था। ग्रामीण बैद्यनाथ पाठक, संतोष पाठक, ललित मोहन झा, चंदेश्वरी झा आदि का कहना है कि शादी के बाद गांव में तहलका मच गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने इसे अनाचार मानते हुए स्व.पाठक को गाव से निष्कासित कर दिया। निष्कासन के बाद वह सहरसा स्थित गौशाला में पत्नी के साथ जीवन यापन किया। तदुपरांत समाज से माफी मांगकर गांव में रहने लगे। इसके बाद वह कांग्रेस से सांसद बने तथा बाद में बिहार जन कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने।
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