सरदार पटेल वाले सेक्युलरिम की जरूरत: नरेंद्र मोदी

narendra_modi_01112013सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक तरह से सार्वजनिक बहस होने के बाद  नरेंन्द्र मोदी ने पटेल की प्रतिमा की नींव रखी। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी और इसे स्टैयू ऑफ यूनिटी कहा जाएगा। नरेंन्द्र मोदी यहां लालकृष्ण आडवाणी के साथ मंच पर पहुचे थे। मोदी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि सरदार पटेल किसी विशेष पार्टी के नहीं पूरे देश के नेता थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह पटेल की धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करते है, न कि कुछ पार्टियों द्वारा अपनाई जा रही वोटबैंक की धर्मनिरपेक्षता का।
मोदी ने काफी समय से लंबित पड़े सरदार सरोवर बांध पर द्वार लगाने के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री पर प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा राजनीतिक कारणों से गुजरात के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
इससे पहले 29 अक्टूबर को प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि पटेल उनकी पार्टी से थे। प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर प्रहार करते हुए मोदी ने कहा कि राणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुर बेहद सम्मानीय हैं। क्या वे भाजपा के सदस्य थे क्या केवल भाजपा से जुड़े लोगों को ही मान सम्मान दिया जाना चाहिए। पार्टी से पहले देश है और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले लोग महान हैं।
मोदी ने कहा कि इस बात को कोई, यहां तक कि वह भी नकार नहीं सकते कि पटेल एक पार्टी से जुड़े हुए थे, लेकिन उनका कद ऐसा था कि सभी उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने धरोहर को विभाजित नहीं करना चाहिए।
प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार मोदी ने यहां सरदार पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने की परियोजना के उद्घाटन पर दिए अपने भाषण में धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर भी कांग्रेस और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि पटेल को सचा धर्मनिरपेक्ष कहने के लिए मैं वास्तव में प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहता हूं।
हम भी यही कहते हैं कि पटेल एक सचे धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। इस देश को पटेल की धर्मनिरपेक्षता की जरूरत है, वोटबैंक वाली धर्मनिरपेक्षता की नहीं। वह एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे, लेकिन उनकी धर्मनिरपेक्षता सोमनाथ मंदिर के निर्माण के आड़े नहीं आई। प्रधानमंत्री महोदय, इस देश को ऐसी ही धर्मनिरपेक्षता की जरूरत है, जो देश को तोड़े नहीं, बल्कि इसे जोड़े।
इस अवसर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जब देश की रियासतों के राजा मोहम्मद अली जिन्ना से तोल-मोल कर रहे थे तब पटेल ने साहसिक कदम उठाते हुए देश को एक किया। 565 रजवाड़ों को एक करना छोटी बात नहीं थी और यह जिम्मेदारी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बखूबी निभाई।
सरदार पटेल की जयंती का दिन मूर्ति की नींव रखने के लिए चुना गया था। प्रस्तावित मूर्ति 597 फीट यानी 182 मीटर ऊंची होगी और इसका चेहरा नर्मदा बांध की ओर होगा। यह अमेरिका की मशहूर स्टैयू ऑफ लिबर्टी से दोगुना ऊंची होगी।
दो चरणों में मूर्ति का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। पहले चरण में ही 2000 करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान है। चीन की 153 मीटर ऊंची स्प्रिंग टेंपल बुद्धा मूर्ति इसकी नजदीकी प्रतिद्वंद्वी होगी।
मोदी ने बुधवार को अपने ब्लॉग पर लिखा, सरदार पटेल की जयंती और भी विशेष होगी, क्योंकि हम स्टेचू ऑफ यूनिटी की आधारशिला रखने जा रहे हैं। उन्होंने लिखा, 182 मीटर ऊंची स्टैयू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में शामिल होगी, जिसके माध्यम से भारत के लौह पुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। यह साधु बेट में स्थित होगी, जो सरदार सरोवर बांध के नजदीक है।
मोदी ने ब्लॉग में कहा, स्टैयू का निर्माण आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए पीपीपी मॉडल से किया जा रहा है। कुछ महीने पहले मैंने भारत भर के मेरे किसान भाइयों और बहनों से अनुरोध किया था कि प्रतिमा के निर्माण के लिए अपनी खेती में इस्तेमाल होने वाले लोहे के उपकरणों को दान में दें।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल न केवल लौह पुरुष थे, बल्कि एक किसान पुत्र भी थे। मैं एक बार फिर सभी से हमारे इस प्रयास में सहयोग की अपील करता हूं। मंगलवार को सरदार पटेल संग्रहालय के उद्घाटन के दौरान एक तरह से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के बीच पटेल की विरासत पर दावे को लेकर बहस सी छिड़ गई थी।
नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते, तो देश की दशा और दिशा ही अगल होती, वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पटेल के धर्मनिरपेक्ष रुख की याद दिलाई।
मोदी ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा कि सरदार पटेल आधुनिक भारत के रचनाकार रहे। उन्होंने अनेक अवरोधों को पार करके पूरे देश को एक किया और आज हम हमारी एकता का उत्सव मना सकते हैं, जो सरदार पटेल के प्रयासों के कारण मिली है। उन्होंने लिखा, यह भी उतना ही सच है कि हमारे देश में कुछ ताकतें हैं, जिन्हें यह एकता रास नहीं आ रही। उन्होंने लोगों को डराने और गुमराह करने के लिए बंदूकों और बम का इस्तेमाल किया।
हम भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी और सरदार पटेल के देश से इन तत्वों को यह पुरजोर संदेश भेजें कि उनका हिंसा का रास्ता कारगर नहीं होगा। उन्हें अपना रास्ता बदलकर मुख्यधारा में आना चाहिए और देश के विकास के लिए काम करना चाहिए, ताकि सरदार पटेल जैसे महान नेताओं के सपने पूरे हो सकें।
नरेंद्र मोदी ने उलाहना देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से बार बार आग्रह किए जाने के बावजूद सरदार सरोवर बांध पर द्वार का निर्माण नहीं किया गया। गुजरात के खिलाफ राजनीति और भेदभाव की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र और कांग्रेस अगर बिना देरी किए इसके द्वार बनवा देती है तो वह इसका पूरा श्रेय भी चाहे तो ले सकती है।
इसके साथ ही भाजपा नेता ने कहा कि पटेल ने देश को एकजुट करते समय विभिन्न धर्मों, समुदाय, परंपराओं और भाषायी पृष्ठभूमि से आने वाले शासकों के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने भीमराव अंबेडकर का भी उदाहरण देते हुए कहा कि वह दलितों और कमजोर वर्गों के लिए ईश्वर के समान थे, लेकिन उनका जीवन और उनका संघर्ष सभी के लिए प्रेरणादायी है।
मोदी ने कहा कि उनकी धर्मनिरपेक्षता ने सभी को एकजुट किया। इसने बांटा नहीं। यह एक संयुक्त विरासत है। हम सभी को इस पर गर्व करना चाहिए। हमारे दिल में देश और इस देश के प्रत्येक महान व्यक्ति के लिए सम्मान होना चाहिए।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए धर्मनिरपेक्ष पार्टियों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने अस्पृश्यता खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी थी। लेकिन आज भी एक दूसरे किस्म की अस्पृश्यता मौजूद है और वह है राजनीतिक अस्पृश्यता। हमें इसे खत्म करना चाहिए।
पटेल की विरासत को लेकर पार्टियों में जारी कोलाहल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इन लड़ाइयों से एक संगठन या पार्टी को भले ही राजनीतिक लाभ मिल सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में देश के सम्मान पर चोट पहुंचती है।
मोदी ने कहा कि जब उन्होंने गांधी जी के नाम पर महात्मा मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की थी, तब किसी ने उन्हें टोका नहीं कि भाजपा का कोई नेता ऐसा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि फिर अब यह दिक्कत क्यों है।

मोदी ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि इस मूर्ति निर्माण की वजह से ही उसे पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में आज मजबूरन अखबारों में विज्ञापन निकलवाने पड़े। उन्होंने कहा कि यह गुजरात का प्रभाव है।
मोदी ने सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति बनाने के फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में एक ऐसे स्मारक की जरूरत थी, जो दुनिया को उसकी ओर देखने पर मजबूर करे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह एकता का भी संदेश देगा। मोदी ने इस आयोजन की शोभा बढ़ाने के लिए आडवाणी को धन्यवाद दिया। इसके पहले आडवाणी ने अपने भाषण में मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुने गए व्यक्ति द्वारा शुरू की गई इस परियोजना के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है।

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