भारत को परमाणु दायित्व कानून में सुधार करना चाहिए: कनाडा

कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि अगर भारत चाहता है कि विदेशी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश करे ताकि देश के परमाणु ऊर्जा उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल सके तो उसे अपने असैन्य परमाणु दायित्व कानून में सुधार करने की जरूरत है। कनाडा के महा वाणिज्य दूत रिचर्ड बैले ने यहां सप्ताहांत में आयोजित एक परमाणु सम्मेलन से इतर पीटीईई से कहा कि जिस तरह से असैन्य परमाणु दायित्व कानून में दायित्व तय किया गया है, वह वैश्विक मानकों से भिन्न है और अगर इसमें संशोधन नहीं किया जाता तो भारत में बड़े पैमाने पर किसी आपूर्तिकर्ता का आना मुश्किल होगा।
कानून के मुताबिक किसी परमाणु संयंत्र के किसी संचालक :जो अभी तक सिर्फ एनपीसीआईएल है: को नुकसान के लिए १,५०० करोड़ रुपये तक का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि, इसमें संचालक के लिए मदद मांगने के अधिकार का प्रावधान भी है। यदि करार में लिखा हो तो संचालक विनिर्माता और आपूर्तिकर्ता से दायित्वों की मांग कर सकता है।
अधिकतर आपूर्तिकर्ता, चाहे वे घरेलू हों या अंतरराष्ट्रीय, इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या वे किसी परमाणु आपदा की स्थिति में १,५०० करोड़ रुपये तक के दायित्व का निर्वाह कर पाएंगे।

 

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