लंबी यात्रा के बाद भारत पहुंचा सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत INS विक्रमादित्य

नई दिल्ली : लंबे समय से लंबित एवं बहु-प्रतीक्षित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य लंबी यात्रा के बाद शनिवार को भारत के पश्चिमी तट (अरब सागर) पर पहुंच गया। भारत को यह विमान वाहक पोत रूस से प्राप्त हुआ है। 2.3 अरब डॉलर की लागत वाले इस विमानवाहक पोत की अगवानी नौसेना की पश्चिमी कमान के युद्धपोत कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह पोत अगले सप्ताह नौसेना के कंवर बेस पर पहुंच जाएगा।

पोत के बेस पर पहुंचने के बाद इस पर हथियार, सेंसर और मिग-29के लड़ाकू विमानों की तैनाती की जाएगी। इसके बाद यह विमानवाहक पोत अभियानों के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। विमानवाहक युद्धपोत पर कामोव 31 और कामोव 28 पनडुब्बी रोधी और समुद्री निगरानी हेलीकॉप्टर भी तैनात रहेंगे।

ज्ञात हो कि 16 नवंबर को रक्षामंत्री एके एंटनी ने देश के सबसे बड़े विमानवाहक युद्धपोत को रूसी प्रधानमंत्री तथा दोनों देशों की सरकारों एवं नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया था।

आइएनएस विक्रमादित्य कीव श्रेणी का विमानवाही पोत है जिसे वर्ष 1987 में बाकू नाम से रूसी नौसेना में शामिल किया गया था। उसका नामकरण बाद में एडमिरल गोर्शकोव कर दिया गया था। भारत को इसकी पेशकश किए जाने से पहले इसने वर्ष 1995 में रूस में अपना आखिरी सफर किया था।

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