भारत ने रविवार को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाकर नया इतिहास रच दिया। परीक्षण में सौ फीसद खरे उतरे स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के बूते रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने का कमाल कर दिखाया है। इसरो ने देश में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन के जरिये रॉकेट जीएसएलवी डी5 का सफल प्रक्षेपण कर यह बेमिसाल उपलब्धि हासिल की है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित 49.13 मीटर लंबा यह रॉकेट अपने साथ ले गए 1,982 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह जीसेट-14 को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित करने में कामयाब रहा। रविवार शाम 4.18 बजे प्रक्षेपण के 17वें मिनट में ही उसने उपग्रह को कक्षा में पहुंचा दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस उपलब्धि पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
करीब 365 करोड़ रुपये की लागत वाले रॉकेट जीएसएलवी डी5 के इस सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत विश्व का ऐसा छठा देश बन गया, जिसके पास अपना देसी क्रायोजेनिक इंजन है। अमेरिका, रूस, जापान, चीन और फ्रांस के पास पहले से ही यह तकनीक है। तीन नाकामियों के बाद देसी क्रायोजेनिक इंजन के साथ 414.75 टन वजनी जीएसएलवी डी5 रॉकेट के सफल प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख के राधाकृष्णन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राधाकृष्णन ने पत्रकारों से कहा, ‘हम 3.5 टन के संचार उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए 500 करोड़ की फीस चुकाया करते थे। जबकि जीएसएलवी यह काम 220 करोड़ में करेगा। जीसेट-14 के प्रक्षेपण पर 145 करोड़ का खर्च आया है।
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