आर्थिक मानदंडों पर यूपीए सरकार विफल रही : भाजपा
नई दिल्ली : भाजपा ने आज कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार सभी आर्थिक मानदंडों पर विफल रही है और एक दशक के दौरान महंगाई, भ्रष्टाचार, कर्ज का ब्याज और बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ी है।
भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यहां पारित आर्थिक प्रस्ताव में कहा गया, ‘पिछले एक दशक में कीमतें, ब्याज दरें, भ्रष्टाचार, कृषि लागत, चालू खाता घाटा, राजकोषीय घाटा, बेरोजगारी कई गुना बढीं, जिससे लोगों को काफी कठिनाई पेश आयी।’ भाजपा के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली की ओर से पेश इस प्रस्ताव में कहा गया कि दूसरी ओर इसी दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद), रोजगार के अवसर, बुनियादी ढांचा विकास, कामगारों के वेतन, किसानों की आय कम हो गयी।
प्रस्ताव में कहा गया कि ये तो विडंबना ही है कि वैश्विक विकास बढ़ रहा है पर भारत का विकास नीचे गिर रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘कांग्रेस का दस साल का शासन देश के लिए विनाशकारी साबित हुआ।’ प्रस्ताव के मुताबिक संप्रग के कार्यकाल में भारत की आर्थिक मंदी का वैश्विक मंदी से कुछ खास लेना देना नहीं था बल्कि यह नेतृत्व की कमजोरी, दो शक्ति केन्द्रों, विचारों के दिवालियापन, नजरिये के अभाव, विनाशकारी नीतियों और भ्रष्टाचार का नतीजा था। इसमें कहा गया कि यह एक दशक पूरी तरह व्यर्थ गया, जिसमें देश में सभी क्षेत्रों में चाहे वो शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, अर्थव्यवस्था या शासन हो, गिरावट देखने को मिली।
प्रस्ताव में कहा गया कि महंगाई अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक रही। महंगाई के अलावा भ्रष्टाचार भी संप्रग शासन के समय खूब हुआ। महंगाई और भ्रष्टाचार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया। हर क्षेत्र में गिरावट आयी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक लगातार नकारात्मक जोन में रहा। इसमें कहा गया कि संप्रग शासन में विनिर्माण, खनन, इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा सहित सभी क्षेत्रों को नुकसान हुआ। सरकार की किसान और मजदूर विरोधी नीतियों के कारण किसानों और कामगारों पर सबसे अधिक असर पड़ा।
प्रस्ताव के मुताबिक संप्रग को राजग से विरासत में 8.4 प्रतिशत विकास दर और 4 प्रतिशत की महंगाई दर मिली थी लेकिन संप्रग ने प्रफुल्ल आर्थिक वातावरण को निराशा के माहौल में बदल दिया और इस समय विकास दर 4.8 प्रतिशत के आसपास है जबकि महंगाई दर लगभग दोहरे अंकों में चली गयी है। सरकार कीमतों में बढोतरी को लेकर बेकार के तर्क देती रही।
प्रस्ताव में कहा गया कि पहले सरकार ने कहा कि वैश्विक खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया भर में इन कीमतों में मामूली 3 से 5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। फिर सरकार ने तर्क दिया कि मांग बढ़ी है क्योंकि लोगों ने अधिक खाना शुरू कर दिया है। जब इस बयान की देश भर में आलोचना हुई तो सरकार ने वैश्विक ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी की वजह बता दी। ‘सच्चाई यह है कि वैश्विक कीमतें 100 डालर प्रति बैरल कई वर्षों से है लेकिन सरकार ने ईंधन की कीमतों को नियंत्रण मुक्त कर दिया और जनता पर जबर्दस्त बोझ डाला।’
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