मोदी पर अमेरिका नरम, साथ काम करने को तैयार
नई दिल्ली। बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर अमेरिका ने एक बार फिर नरमी के संकेत दिए हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि भारत की जनता जिसे भी चुनेगी, अमेरिका को उसके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है। चाहे वो मोदी ही क्यों न हों। भारत की बदली चुनावी प्रक्रिया का असर अमेरिका पर दिख रहा है।
बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की जनसभाओं में लगातार उमड़ रही भीड़ और सत्ताधारी यूपीए की दिन ब दिन कमजोरी होती हालत पर जनादेश आने में भले ही अभी कुछ वक्त बचा है। लेकिन अमेरिका इन संकेतों में अभी से बदलाव की बयार महसूस करने लगा है। तभी तो हर बीतते दिन के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर उसका रवैया बदलने लगा है। शनिवार को अमेरिकी विदेश विभाग की उप प्रवक्ता जब मीडिया से मुखातिब हुई तो उसके सामने एक के बाद एक सवाल दागे गए।
उनसे भारत से संबंधित पहला सवाल था- क्या अमेरिका बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के लिए तैयार है? इस पर विदेश विभाग की उप प्रवक्ता मैरी हर्फ का क्या जवाब था, भारतीय जनता जिसे भी चुनेगी, हम उसके साथ काम करेंगे। चंद दिनों पहले ही अमेरिका ने नौ साल से जारी मोदी का बहिष्कार खत्म किया है। तब अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए दिल्ली से गांधीनगर पहुंचीं। इस मुलाकात को अमेरिकी रुख में बदलाव का पहला संकेत माना गया।
हालांकि हर्फ ने गांधीनगर में पावेल और मोदी के बीच हुई मुलाकात को आम चुनावों के पहले शीर्ष भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के साथ संपर्क करने के अमेरिकी कदमों का हिस्सा बताया। उन्होंने इन खबरों को खारिज किया कि अमेरिका ने मोदी से दूरी बनाकर रखी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी के मामले में अमेरिकी वीजा नीति पर भी सवाल किया गया। हर्फ ने कहा कि अमेरिकी वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हर्फ के मुताबिक वीजा आवेदनों पर हर मामले के हिसाब से और उनसे संबंधित नियमों के आधार पर गौर किया जाता है।साफ है, नैंसी पावेल के बाद अमेरिका की तरफ से एक बार ये संकेत दिए गए हैं कि उसे मोदी के साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है।
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