अप्रैल के दूसरे हफ्ते से शुरू हो सकते हैं लोकसभा चुनाव
नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनावों के लिहाज से मतदान अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है जो सात चरणों में हो सकते हैं. यह चुनाव अवधि अब तक की सबसे लंबी होगी. उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यह जानकारी दी.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि मतदान शुरू होने की तारीख संभवत: 7 से 10 अप्रैल के बीच हो सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
फिलहाल सात चरणों में मतदान का विचार है जिसे कम करके छह चरणों तक सीमित करने के प्रयास किये जा रहे हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव 16 अप्रैल से 13 मई के बीच पांच चरणों में हुए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में 81 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा इस सप्ताह के मध्य में हो सकती है. सरकार और राजनीतिक दलों के लिए आदर्श आचार संहिता चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से प्रभाव में आ जाएगी. हालांकि चुनाव आयोग ने गर्मी की वजह से कार्यक्रम को आगे बढ़ाने या सीमित करने के सुझाव को खारिज कर दिया है. आयोग द्वारा पिछले महीने बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में इस तरह की मांग उठाई गयी थी. मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है और नये सदन का गठन 31 मई तक किया जाना है.
लोकसभा चुनावों के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव भी होंगे. आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय, राज्य सरकारों, अर्धसैनिक बलों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विचार विमर्श पूरा हो चुका है.
अटकलें थीं कि चुनाव कार्यक्रम को थोड़ा लंबित किया जा सकता है ताकि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ अध्यादेश लाने पर विचार कर सके. हालांकि इस बारे में पुष्टि नहीं हुई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कल से शुरू हो रही दो दिनों की म्यामां यात्रा के बाद इस संबंध में घोषणा की जा सकती है. सिंह म्यामां में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान एक संधि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं.
अगर छह या सात चरणों में कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाता है तो पहली बार देश में चुनाव इतने लंबी अवधि में होते देखे जाएंगे. सूत्रों ने कहा कि बलों के अधिक से अधिक इस्तेमाल की योजना है. पहले चरण में कुछ नक्सल प्रभावित राज्यों और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में मतदान होने की संभावना है.
संसदीय चुनावों में पहली बार प्रायोगिक आधार पर कुछ क्षेत्रों में इलेक्ट्रानिक मतदान के लिए पर्ची मिलने की व्यवस्था लागू की जाएगी. आयोग ने राजनीतिक दलों को दिशानिर्देश जारी कर उनसे अपने चुनावी घोषणापत्रों में किये गये वायदों के खर्च का आधार स्पष्ट करने को कहा है. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद जारी दिशानिर्देश आदर्श आचार संहिता का हिस्सा बन गये हैं. इस बार चुनाव में करीब 81.4 करोड़ मतदाता मतदान के लिए सक्षम होंगे. पिछले चुनावों के बाद मतदाता सूचियों में 9.71 करोड़ नये मतदाता जुड़ चुके हैं.
आगामी चुनावों से बड़े राज्यों के लोकसभा क्षेत्रों के उम्मीदवार अपने प्रचार पर 70 लाख रपये तक खर्च कर सकते हैं. 2011 में यह सीमा 40 लाख रपये तक थी. 2009 में यह 25 लाख रपये थी.
इन्हीं लोकसभा चुनाव में पहली बार ‘इनमें से कोई नहीं’ :नोटा: का विकल्प भी मतदान के दौरान मिलेगा. कुछ महीने पहले विधानसभा चुनावों में इसे लागू किया गया था. 2014 के लोकसभा चुनावों में कुल 1.1 करोड़ चुनावकर्मी मेहनत करेंगे जिनमें से आधे सुरक्षाकर्मी होंगे जिन्हें चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से और निष्पक्ष तथा स्वतंत्र रूप से कराने के लिए तैनात किया जाएगा.
मतदाताओं और चुनावकर्मियों दोनों की सुविधाओं को देखते हुए देशभर में करीब 8 लाख मतदान केंद्र बनाये गये हैं. 2009 के चुनावों में 71.4 करोड़ मतदाता थे वहीं 2004 के लोकसभा चुनाव में 67.1 करोड़ मतदाताओं को मताधिकार हासिल था.
आयोग ने भारत जैसे बड़े देश में अनेक चरणों में मतदान की वकालत की है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि 1971 के बाद देश में कभी एक चरण में चुनाव आयोजित नहीं हुए हैं क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदाताओं की संख्या सालों साला तेजी से बढ़ी है. अधिकारियों ने यह भी कहा कि पूरी चुनाव प्रक्रिया में करीब तीन महीने का समय लगता है.
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