आंध्र प्रदेश के बंटवारे के मसले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी
नई दिल्ली : आंध्रप्रदेश को विभाजित कर पृथक तेलंगाना राज्य बनाए जाने का मुद्दा आज उस समय न्यायिक जांच के दायरे में आ गया जब उच्चतम न्यायालय ने इस पर विचार करने पर सहमति जताते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र सरकार को उन विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया जिनमें राज्य के विभाजन को चुनौती दी गई है। ये याचिकाएं आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी सहित अन्य लोगों ने दायर की हैं।
न्यायालय ने इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के हस्तक्षेप के पक्ष में राय जताई और कहा कि वृहद पीठ इस पर विचार कर सकती है कि राज्य के विभाजन पर स्थगन जारी किया जा सकता है या नहीं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य का विभाजन गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने आंध्रप्रदेश के विभाजन संबंधी विधेयक को राज्य विधानसभा में खारिज किए जाने के बावजूद संसद में पारित करने के केंद्र के निर्णय पर सवाल उठाया। राज्य के विभाजन को चुनौती देते हुए करीब 18 याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई हैं।
न्यायालय ने आंध्रप्रदेश के विभाजन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से 7 और 17 फरवरी को इंकार करते हुए कहा था कि यह ‘अपरिपक्वता’ होगी क्योंकि संसद ने अभी तक विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। आंध्रप्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना का गठन करने संबंधी विधेयक को संसद ने 20 फरवरी को मंजूरी दी थी।
विधेयक को संसद में पेश किए जाने पर रोक लगाने से न्यायालय ने 7 फरवरी को इंकार कर दिया था और 17 फरवरी को उसने उन दो याचिकाओं को भी खारिज कर दिया जिनमें आंध्रप्रदेश के विभाजन को चुनौती दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मामले में सात फरवरी के दृष्टिकोण से इतर नजरिया नहीं अपनाया जा सकता जब न्यायालय ने तेलंगाना के खिलाफ याचिका को समय से पूर्व बताया था। न्यायालय ने इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया था कि चूंकि विधेयक संसद के समक्ष है, इसलिए इस पर विचार किया जा सकता है। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उचित मौके पर याचिकाओं में दिये गये तर्को पर विचार किया जा सकता है।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि दो जून नये राज्य का स्थापना दिवस होगा जब तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आयेगा और अलग राज्य के रूप में काम करने लगेगा।
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