मोदी के सामने केजरी ने ठोंकी ताल
वाराणसी । काशी के मोदीमय माहौल में अरविंद केजरीवाल ने अपनी उपस्थिति तो दर्ज करा दी है। मुकम्मल पटकथा और निर्देशन के साथ वाराणसी आए केजरीवाल ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के सामने लड़ने का औपचारिक एलान कर दिया है। पहले आजमाए हुए अपने इजाद सियासी नुस्खों के सहारे केजरीवाल ने काशी में अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश विरोध, अंडे और स्याही की मार के बीच किया। वाराणसी से सुर्खियां तो उन्होंने लूटी, लेकिन दिल्ली में उनकी सफलता में सबसे आगे दिखने वाला युवा वर्ग इस पूरे कार्यक्रम से गायब था।
आते ही पहले गंगा में डुबकी फिर बनारस के कोतवाल कहे जाने वाले कालभैरव और काशी के राजा कहे जाने वाले बाबा विश्वनाथ के दर्शन और फिर तुलसी घाट में मत्था टेकने के साथ केजरीवाल ने काशी में अपने अभियान की शुरुआत की। मगर इसके बाद रोड शो करते हुए मुस्लिम बहुल इलाके बेनियाबाग में रैली की।
अन्य वक्ताओं के बाद केजरीवाल ऐसे वक्त बोले जबकि बगल में मस्जिद में अजान का समय हो रहा था। उस समय उन्होंने बीच में ही भाषण रोककर मुसलमानों के बीच भी जगह बनाने की कोशिश की। इतना ही नहीं अपने चुनाव लड़ने की घोषणा वैसे तो उन्होंने काशी आते ही मीडिया के सामने कर दी। मगर बाद में रैली के दौरान फिर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने न लड़ने पर जनता से सवाल पूछने की औपचारिकता की और फिर काशी से लड़ने का एलान कर दिया।
हालांकि, केजरीवाल ने काशी में मोदी की सांप्रदायिक छवि पर हमला करने के बजाय उनके मजबूत समझे जाने वाले पहलुओं पर प्रहार किया। मोदी की विकास पुरुष और ईमानदार छवि को सीधे निशाने पर रखते हुए केजरीवाल ने किसान, महिला और व्यापारियों को मोदी से सचेत किया।
उन्होंने मोदी को अंबानी और अडानी जैसे उद्योगपतियों का हितसाधक करार दिया और कहा कि यदि मोदी जीते तो कमजोर वर्ग रोएंगे। केजरीवाल के साथ बाहर से तो खासी संख्या में नेता आए ही थे। मंगलवार को इस व्यस्त इलाके में पार्टी में शामिल होने वाले लोग भी शक्ति प्रदर्शन के लिए लेकर आए और इलाकाई अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा थी।
पूरे आयोजन में केजरीवाल ने मोदी को ही निशाने पर रखा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी तंज कसे, लेकिन मुख्यत: मोदी ही उनके निशाने पर थे। काशी में चुनौती कठिन समझने के बावजूद केजरीवाल ने यह तो सुनिश्चित करने की कोशिश की वह लगातार सुर्खियों में बने रहें।
केजरीवाल से पहले हर-हर मोदी वाले नारे पर उनकी टीम ने मोदी के खिलाफ भावनात्मक माहौल भी बनाने की कोशिश की। अलबत्ता हर-हर मोदी से प्रेरित होकर उनकी सेना ने घऱ-घर केजरीवाल का नारा जरूर लगा दिया। मगर इस पूरे शक्ति प्रदर्शन के दौरान केजरीवाल की टीम से वह युवा गायब दिखा जो दिल्ली में उनके पीछे खड़ा था। जाहिर है कि केजरीवाल के लिए काशी में जगह बनाना इतना आसान नहीं होगा, लेकिन चर्चा बटोरने की अपने प्रयास में वह सफल रहे।
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