मोदी के लिए आखिरी पल तक इंतजार करेंगी जशोदा

मुंबई – बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी की 62 वर्षीय पत्नी जशोदाबेन को आशा है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब मोदी उनसे क्षमा मांगते हुए उन्हें घर ले जाएंगे। गुजरात में मेहसाणा तालुके के ब्राह्मणवाड़ा गांव में मुंबई मिरर से बातचीत में जशोदाबेन के दो भाइयों कमलेशभाई और अशोकभाई ने कहा कि उनकी बहन आज भी मोदी के लिए हर रोज प्रार्थना करती हैं और उन्हें प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहती हैं।
जशोदाबेन के दो भाइयों में छोटे भाई कमलेशभाई ने कहा कि बीते गुरुवार को (जिस दिन नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा से अपना पर्चा दाखिल करते हुए पत्नी के कॉलम में जशोदाबेन का नाम लिखा था) जशोदा के जीवन का दूसरा सबसे खुशी का दिन था। पहला सबसे ज्यादा खुशी का दिन वह था, जिस दिन 1967 में उनकी शादी हुई थी। मेरी बहन इस बात से बेहद खुश है कि उनके पति ने औपचारिक तौर पर उन्हें पत्नी स्वीकार कर लिया है।
पत्नी की सौगंध
जशोदाबेन करीब साढ़े चार साल पहले प्राइमरी स्कूल टीचर के पोस्ट से रिटायर हुईं। वह बड़े भाई अशोकभाई को किराने की दुकान चलाने में मदद करती हैं। मोदी जनरल स्टोर नाम की यह दुकान ब्राह्मणवाड़ा से करीब 5 किलोमीटर दूर उंझा में है। वहीं छोटे कमलेशभाई ब्राह्मणवाड़ा में ही इसबगोल की प्रोसेसिंग यूनिट में काम करते हैं। भाइयों ने बताया कि जशोदाबेन को खुद पर आदर्श भारतीय पत्नी होने पर गर्व है। अशोकभाई ने बताया कि वह पति को प्रधानमंत्री बनते देखने की इतनी ख्वाहिशमंद हैं कि उन्होंने सौगंध उठाई है कि जब मोदीजी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन जाते, वह पैरों में चप्पल नहीं पहनेंगी, न तो चावल खाएंगी और न ही चाय तक पिएंगी।
उत्सव सा था माहौल गुरुवार को जिस दिन मोदी ने पर्चा भरा, कमलेशभाई के घर में काफी चहल-पहल थी। परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों से उनका घर भरा हुआ था और सभी लोग टीवी सेट के सामने नजरें गड़ाए बैठे थे कि मोदीजी के बारे में क्या अपडेट्स आ रहे हैं। कमलेशभाई की पत्नी सीताबेन ने रिपोर्टर से यह भी कहा कि आप हमारे घर 16 मई को दोबारा जरूर आइएगा, हम आपके लिए मिठाइयां तैयार रखेंगे। मोदीभाई देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और इसमें अब कोई संदेह नहीं रह गया है। कमलेशभाई ने कहा कि उन्हें ऐसे शख्स के साथ जुड़े होने पर गर्व है जिसने नई-नई ऊंचाइयां छुई हैं। उन्होंने कहा, 18 साल के एक साधारण से शख्स जो मेरी 17 साल की बहन से शादी करने के लिए गांव आया था, मोदीभाई गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए। आज की तारीख में वह एशिया के सबसे ताकतवर और प्रभावशाली लोगों में से एक हैं। पूरा देश उनके एक धूमकेतु की तरह उदय का गवाह बना है और हमें उन पर गर्व है। हमें उनसे कोई गिला-शिकवा नहीं है।
किताब के बीच मोदी की तस्वीर
कमलेशभाई जिक्र करते हैं कि किस तरह उनके परिवारवालों ने 45 साल पहले जशोदा – मोदी की शादी रचाने केलिए मंडप तैयार किया था। गांववाले बताते हैं कि एक सच्ची भारतीय नारी की तरह 63 साल की उम्र में किसतरह नरेंद्र मोदी का नाम आते ही आज भी जशोदाबेन के चेहरे पर लालिमा दौड़ जाती है। वह यह भी बताते हैं किजशोदा आज भी धार्मिक ग्रंथों के बीच छिपाकर नरेंद्र मोदी के युवाकाल की एक तस्वीर रखती हैं। वह सुबह 4 बजेही सोकर उठ जाती हैं , नहाधोकर तैयार हो जाती हैं और फिर मंदिर चली जाती हैं। यही नहीं , गायों को चारा -पानी दिए बगैर जशोदा खुद खाना भी नहीं खातीं। मंदिर जाने के रास्ते में जो कोई भी उन्हें मिलता है जशोदा उन्हेंनमस्ते कहना नहीं भूलतीं। गुरुवार को जब मोदीजी के उन्हें अपनी पत्नी माने जाने की खबर आई तो जशोदा नेतुरंत तीर्थयात्रा पर जाने की इच्छा जताई। वह सुबह ही द्वारिका के लिए रवाना हो गईं और संभावना है किमोदीजी के लिए प्रार्थना करने को अब बद्रीनाथ , पुरी और रामेश्वरम भी जाएंगी। अशोकभाई ने कहा , मेरी बहनकी 45 वर्षों की तपस्या अब रंग लाई है। उन्हें तब काफी बुरा लगता था जब लोग उन्हें मोदीजी की पत्नी मानने सेइनकार कर देते थे।
आखिरी पलों तक करेंगी इंतजार
अब जब मोदीजी दिल्ली की कुर्सी पाने के लिए दावेदारी कर रहे हैं तो ऐसे में जशोदाबेन का दिल्ली जाने का कोईइरादा नहीं है , जब तक कि मोदीजी की खुद ऐसी इच्छा न हो। पूर्व में भी जशोदाबेन ने साफगोई से कहा है कि वहमोदीजी के जीवन का दोबारा हिस्सा बनने की इच्छा नहीं रख रही हैं। उनके भाइयों ने कहा कि जशोदा इस बातमें यकीन रखती हैं कि किसी प्रसिद्ध या धनवान व्यक्ति की पत्नी बनने से ज्यादा महत्वपूर्ण है एक पत्नी बनना। यहसही है कि पति द्वारा छोड़े जाने से उन्हें पीड़ा हुई थी , लेकिन वह अपनी जिंदगी के आखिरी पलों तक इस बात काइंतजार करने को तैयार हैं कि मोदीजी एक दिन खुद उन्हें अपने साथ रहने को बुला एंगे।

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