केदारनाथ यात्रा: 1 साल बाद भी कायम है खौफ, सौ से कम लोगों ने कराई बुकिंग
देहरादून. उत्तराखंड में पिछले साल हुई तबाही के बाद श्रद्धालु केदारनाथ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। केदारनाथ जाने के लिए अभी तक केवल आठ श्रद्धालुओं ने ही सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए नाम दर्ज कराया है। इस बार 77 श्रद्धालुओं ने हेलिकॉप्टर सर्विस के जरिए केदारनाथ यात्रा के लिए नामांकन कराया है। जबकि पिछले साल करीब 13 लाख लोगों ने केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की थी। केदारनाथ यात्रा मई के पहले हफ्ते से शुरू हो रही है।
उत्तराखंड़ की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की इकॉनोमी के लिहाज से काफी अहम मानी जाती है। यात्रियों की संख्या में इस बार काफी कमी के चलते राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना होगा। देश में हर साल करीब दो करोड़ लोग चार धाम की यात्रा पर जाते हैं।
श्रद्धालुओं का होगा बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद वहां एक दिन में सिर्फ एक हजार श्रद्धालुओं को ही जाने की परमिशन दी जाएगी। रावत ने कहा कि किसी भी आपात स्थिति से बचने के लिए केदारनाथ मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं का बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा।
अगले महीने की दो तारीख को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट जहां चार मई को खुलेंगे, वहीं बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अगले दिन यानी पांच मई को खोले जाएंगे।
समुद्रतल से 10 हजार फीट से भी अधिक ऊंचाई और गहन हिमालय में स्थित केदारनाथ धाम में मंदाकिनी नदी में पिछले वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ तथा बादल फटने की घटना के चलते भारी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और पूरे इलाके में यातायात सहित बुनियादी संरचना को भारी नुकसान पहुंचा था। इसके चलते केदारनाथ यात्रा को रोकना पड़ा था।
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