लखनऊ के संघर्ष में अब राजनाथ को ‘नमो लहर’ का सहारा

BJP National President Rajnath Singh Campaigns In Lucknowलखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि लखनऊ में बहुकोणीय संघर्ष में उलझे भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के लिए ‘नमो लहर’ सहारा बनी है। कांग्रेस एंटी-भाजपा वोटों के भरोसे ही जीत की आस लगाए है तो सपा भी मुस्लिम एजेंडे और सत्ता की धमक के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। बसपा दलित-ब्राह्मण समीकरण को फिर से आजमाते हुए त्रिकोणीय संघर्ष में चौथा कोण बनाने की जिद्दोजहद में है। ऐसे हालात में आम आदमी पार्टी के जावेद जाफरी भी मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश में है।

मतदान को चंद दिन ही शेष है और लखनऊ में मौसमी तापमान बढ़ने के साथ सियासी पारा भी चढ़ा है। अदब व तहजीब के लिए मशहूर लखनऊ के वोटरों का राजनीतिक मिजाज भी जुदा है। जनता के मसलों से ज्यादा सियासी रूतबे का सवाल भी रहता है। शायद इसी कारण से ही लखनऊ की जनता की प्राथमिकता में हाईप्रोफाइल सांसद रहता है। पांच बार सांसद निर्वाचित हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही नहीं विजयलक्ष्मी पंडित, शीला कौल व हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज भी लखनऊ की आवाज लोकसभा में बुलंद कर चुके है।

वोटरों के इस स्वाभाविक रूझान को अपने पक्ष में मान रहे भाजपा के पूर्व विधायक विंध्यवासिनी कुमार कहते हैं कि राजनाथ सिंह का व्यक्तित्व अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले कहीं भारी है। खुद प्रत्याशी राजनाथ सिंह भी राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते नरेंद्र मोदी सरकार बनने पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से लखनऊ के विकास को मनमाफिक कार्य कराने का आश्वासन देना नहीं भूलते।

अब क्षेत्र के जातीय आंकड़े पर नजर डाले तो करीब 18 लाख वोटरों वाली लखनऊ संसदीय सीट पर सर्वाधिक संख्या मुसलमानों की है। इसके बाद ब्राह्मणों की संख्या है। इसके अलावा क्षत्रिय, कायस्थ, यादव, दलित, लोधी व अन्य पिछड़ी वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। नरेंद्र मोदी लहर में पिछड़े वर्ग की बिरादरियों पर चढ़ा केसरिया रंग सपा व बसपा के लिए सिरदर्द है।

पूवरंचलवासियों की अच्छी खासी तादाद पर हक जताने में भाजपाई सबसे आगे हैं। युवाओं में नरेंद्र मोदी को क्त्रेज भाजपा की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए साफ्टवेयर इंजीनियर संदीप मिश्रा कहते है मोदी लहर का असर नतीजों में दिखेगा।

उधर कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी का मजबूत पक्ष उनका कैंट क्षेत्र से विधायक होने के अलावा लखनऊ से गत लोकसभा चुनाव में उपविजेता रहना है। एंटी भाजपा वोटों के भरोसे चुनाव मैदान में डटी रीता पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं पर भी दावा ठोंकती है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का कहना है कि देश में भले ही कोई लहर चले परन्तु लखनऊ में माहौल अलहदा है। कांग्रेस की असल सिरदर्दी मुस्लिमों में शियाओं की नाराजगी है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी एवं फिल्म अभिनेता जावेद जाफरी भी मुस्लिम वोटों पर ही दांव लगाए है।

दूसरी ओर सपा उम्मीदवार व प्रदेश सरकार में मंत्री अभिषेक मिश्रा का चुनावी दांव भी मुस्लिमों की एकजुटता पर है। सत्ता के सहारे सपा का खाता खोलने की जुगत में लगे अभिषेक को युवाओं से समर्थन मिलने की उम्मीद है। उधर बसपा की ओर से नकुल दुबे मैदान में हैं। पार्टी के परम्परागत दलित वोट बैंक में ब्राह्मणों की हिस्सेदारी को बढ़ाने की जुगत में लगे दुबे को बदले माहौल में मुश्किलें पेश आ रही है।

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