लालकिले पर हमले के दोषी की फांसी की सजा पर रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लालकिले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को विचारार्थ के लिए संविधान पीठ को भेज दिया। आरिफ को निचली अदालत ने वर्ष 2000 में लालकिले पर हमले का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
गौरतलब है कि अगस्त 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर हुए हमले के मामले में मोहम्मद आरिफ की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। मोहम्मद आरिफ लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ आतंकी है। लाल किले पर 22 दिसंबर 2000 की रात हुए हमले में लश्कर के छह आतंकी शामिल थे। जिन्होंने लालकिले के अंदर घुस कर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में राजपूताना रायफल्स के दो जवान और एक अन्य की मौत हो गई थी।
हमले के ठीक बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर में हुए मुठभेड़ में मोहम्मद आरिफ ऊर्फ अशफाक और उसकी पत्नी रहमाना यूसुफ फारूकी को गिरफ्तार किया था। 31 अक्तूबर 2005 को निचली अदालत ने मोहम्मद आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी और उसकी पत्नी को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
आरिफ के दो और सहयोगी नजीर अहम कासिब और फारूक अहमद कासिब को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने तीन और अभियुक्तों को सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और चार को रिहा कर दिया था। इसके बाद आरोपियों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2007 को आरिफ की सजा बरकरार रखी थी और छह अन्य को बरी कर दिया था।
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