सरकार पर चुनाव बिल वापिस लेने का दबाव बढ़ा
* प्रोफेसरों की ओर से खुला पत्र जारी
सैंकड़ों विद्वानों ने कंजरवेटिव सरकार को पत्र लिखकर फेयर इलैक्शन एक्ट वापिस लेने की मांग की है। इस चुनाव सुधार बिल को लेकर बहुत से संगठन पहले ही सरकार को अपना निशाना बना रहे हैं। इन विद्वानों ने सैनेट कमेटी जो बिल पर काम कर रही है, पर भी दोष लगाया है कि कमेटी इसमें शामिल उन मदों पर कुछ भी करने में असमर्थ रही है जो सही नहीं है।
23 अप्रैल को जारी इस खुले पत्र जिस पर कुल 465 लोगों के हस्ताक्षर हुए हैं, में प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर, संसद मैंबर और सैनेटर्स से इस बिल को वापिस लेने और इसको दोबारा से बनाने की मांग की गई है। इस पत्र में सभी संसद मैंबरों को जोर देकर कहा गया है कि इस बिल को खत्म करने के लिए काम किया जाए। यदि जरूरत पड़े तो इसको संसद में हराने के लिए जोर लगाया जाए। पत्र में सैनेटरों को भी सैनेट में अपना फर्ज पहचानते हुए इस बिल में जरूरी शोध करने के लिए इसको वापिस संसद में भेज दिया जाए।
डैमोक्रेटिक रिफार्म मंत्री पियर पोलीवर ने इस बिल का बचाव करते हुए कहा कि यह एक कॉमन सैंस बिल है। मंत्री ने कहा कि फेयर इलैक्शन एक्ट एक कॉमन सैंस और जायज है। उदाहरण के तौर पर वोट डालते समय पहचान-पत्र की मांग जायज ही है। लिखे गए पत्र को आधा दर्जन प्रोफेसरों ने तैयार किया है और देश की यूनिवर्सिटियों के सैंकड़े अन्य लोगों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र के सहायक ड्राफ्टर मोनिक डीवॉक्स का कहना है कि किसी को यह याद नहीं इससे पहले कब इतने प्रोफेसर एकत्र हुए हों।
प्रोफेसरों का कहना है कि सैनेट कमेटी ने इस बिल से जो भी बलदाव करने के लिए इसको वापिस भेजा है, से भी कुछ अहम नुक्स बाहर नहीं होंगे। इस बिल में जो कुछ आपत्तियां उठाई गई हैं, में इलैक्शन कमिश्नर को उन शक्तियों से दूर रखा गया है जिसके तहत वह चुनाव फ्रॉड की सूरत में गवाहियां ले सके। इलैक्शन पोल सुपरवाइजर की स्थापती, ज्यादा वोटे डलवाने के लिए इलैक्शन कनाडा की ओर से किए जाने वाली कोशिशें आदि शामिल हैं।
इससे पहले भी एक ऐसा ही पत्र जिस पर कोई 160 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर थे, जारी किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के पॉलिटीकल साइ्रंस प्रोफेसर मिलिसा विलियम्स जिन्होंने 23 अप्रैल वाला पत्र तैयार किया है, का कहना है कि सैनेट कमेटी की ओर से जो भी शोध करने के लिए बिल वापिस भेजा गया है, इस बिल से होने वाले नुकसान से बचा नहीं जा सकता।
कंजरवेटिव सैनेट बॉब रूमीमैन जो सैनेट कमेटी के अध्यक्ष हैं,का कहना है कि इन पत्रों को लेकर वह हैरान नहीं हैं। रूमीमैन ने पिछले ह3ते बिल में 9 शोध करने के लिए वापिस भेजा था। उन्होंने बताया कि जो 9 सिफारिशें उनकी ओर से भेजी गई हैं, उनका स्वागत किया गया है। इन सिफारिशों ने एक बार तो आलोचकों को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। अब आलोचक इस बिल में कुछ ओर मदों को ढूंढ रहे हैं, जिसकी वह आलोचना कर सकें।
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