पश्चिम बंगाल में हिंसा के बीच रहस्य बना भारी मतदान

कोलकाता,   पश्चिम बंगाल में हिंसा के बीच भारी मतदान राजनीतिक पंडितों के लिए रहस्य बना हुआ है। सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के नेता भारी मतदान से उत्साहित हैं। उनके मुताबिक, जनता का वोट तृणमूल के पक्ष में गया है। वहीं, कई चुनाव क्षेत्रों में आम लोगों से बातचीत से पता चला कि आतंक व हिंसा चुनाव नतीजा को प्रभावित कर सकता है। अब तक राजनीतिक संघर्ष विभिन्न दलों के बीच होता था, लेकिन इस बार हिंसा के शिकार आम जनता व साधारण मतदाता हुए हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, बंगाल की शांतिप्रिय जनता हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकती। राज्य में राजनीतिक परिवर्तन हिंसा व आतंक के लिए नहीं हुआ था। हिंसा के बीच अधिक मतदान सत्तारूढ़ दल के खिलाफ भी जा सकता है।

विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में आम लोगों से बातचीत से पता चला कि स्थानीय पुलिस ने हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए तृणमूल समर्थकों को छूट दी। हिंसा रोकने में चुनाव आयोग को स्थानीय प्रशासन व पुलिस का सहयोग नहीं मिला। चुनाव आयोग असहाय बना रहा। हालांकि आयोग ने हिंसक घटनाओं पर संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, लेकिन उस पर कहां तक कार्रवाई होगी इस पर संदेह है। 17 सीटों में जो क्षेत्र हिंसा से अछूता है, वहां भारी मतदान हुआ है।

हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में भी मतदाताओं ने काफी उत्साह दिखाया है। भारी मतदान से सत्तारूढ़ दल व विपक्ष दोनों उत्साहित है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारी मतदान हिंसा का जवाब भी हो सकता है। भारी मतदान का रहस्य अब 16 मई को चुनाव नतीजा आने के ही खुलेगा। जब चुनाव नतीजा नहीं आता है, तब तक राज्य में भारी मतदान रहस्य ही बना रहेगा।

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