मोदी की दूत बन दीदी से मिलेंगी स्मृति
कोलकाता, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष राजनीतिक दूत के तौर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगी। राजनीतिक परिदृश्य में यदि खास बदलाव नहीं हुआ तो यह मुलाकात चार जुलाई को कोलकाता में होगी। ममता एवं स्मृति के बीच राय सचिवालय नवान्न में बैठक होने के आसार हैं। दोनों के बीच दूरभाष पर हुई बातचीत के बाद यह मुलाकात तय हुई है।
भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लगातार बेहतर सम्पर्क बनाने और तालमेल की सक्रिय कोशिश में हैं। हाल में संसद में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ कर उन्होंने बेहतर सम्पर्क की अपनी सरकार की इच्छा का संकेत भी दिया है। जयललिता नई दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात भी कर चुकी हैं, लेकिन ममता की अब तक मोदी से प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर कोई वार्ता नहीं हुई है। ममता की ओर से मोदी को पीएम बनने के बाद बधाई संदेश भी नहीं भेजा गया था। अब स्मृति की ममता से प्रस्तावित मुलाकात पर राजनीतिक पंडितों ने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं कि क्या मुलाकात के बाद तृणमूल और भाजपा के सम्पर्क सुधरेंगे? मोदी ने केंद्र और राज्यों के बेहतर संबंध के लिए पार्टी के कुछ बड़े नेताओं और मंत्रियों को दूत की भूमिका में तैयार किया है। जयललिता के लिए जहां रविशंकर प्रसाद मोदी के दूत की भूमिका में हैं, वहीं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के साथ पीएम के वार्ता दूत वेंकैया नायडू हैं। स्मृति इरानी को पश्चिम बंगाल के लिए दूत बनाए जाने के पीछे उनके इस राय के साथ गहरे रिश्ते पर गौर किया गया है। बताते हैं कि स्मृति की मां बंगाली थीं। खुद स्मृति को बांग्ला बोलने का शौक है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ये सब प्रधानमंत्री की राजनीति और प्रशासन को अलग-अलग रखने की प्रतिबद्धता का नतीजा है। लोकसभा चुनाव के दौरान अपने इंटरव्यू में उन्होंने यह प्रतिबद्धता कई बार जताई थी। कुछ राजनीतिक पंडित बहरहाल इसे भाजपा की संसद में अपनी संख्या गणित को ठीक रखने के लिए किया गया प्रयास मान रहे हैं। लोकसभा में बहुमत के बावजूद राज्यसभा में भाजपा काफी कमजोर स्थिति में है।
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