भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर बढ़ी सियासी सरगर्मी
नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। इस कुर्सी के कई दावेदार हैं, लेकिन नगर निगम दक्षिणी की स्थायी समिति के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि, पार्टी के कई सांसद, विधायक व नेता उनके नाम पर आपत्ति जता रहे हैं। जिसके चलते पार्टी अंतिम फैसला नहीं कर पा रही है।
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद से इस पद पर कई नेताओं की नजर टिकी हुई है। जिसमें नगर निगम दक्षिणी की शिक्षा समिति के अध्यक्ष आशिष सूद तथा आलोक कुमार का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता तथा दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर भाजपा नेताओं की आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी हुई है। जिसमें दिल्ली के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ डॉ. हर्षवर्धन भी शामिल हुए थे।
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नामों पर चर्चा की गई। जिसमें सतीश उपाध्याय के नाम पर अधिकांश लोगों ने सहमति जताई। लेकिन पार्टी व संघ की परेशानी यह है कि उनके नाम पर कई सांसद व विधायक सहमत नहीं बताए जा रहे हैं। कई लोगों ने अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी है। उनका तर्क है कि कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने से पार्टी में खेमेबाजी व असंतोष बढ़ सकता है। हालांकि, सतीश के समर्थकों का कहना है कि उन्हें अध्यक्ष बनाने से दिल्ली के ब्राह्मण व पूर्वाचली लोगों को साथ जोड़ने में मदद मिलेगी।
पंजाबी या पूर्वाचली को दी जा सकती है कमान
दिल्ली में किसी वैश्य या फिर पंजाबी नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाती रही है, लेकिन इस बार यह परंपरा टूट सकती है। डॉ. हर्षवर्धन के केंद्रीय मंत्री तथा विजय गोयल को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने की वजह से वैश्य नेताओं की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। इसलिए इस बार किसी पंजाबी या फिर पूर्वाचली को यह पद दिया जा सकता है। इसके साथ ही पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा, दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी, नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी व जनकपुरी के विधायक जगदीश मुखी भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। सभी दावेदार केंद्रीय नेताओं व आरएसएस के पदाधिकारियों के माध्यम से अपनी दावेदारी आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, पार्टी हाईकमान व आरएसएस इस पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठाना चाहता है जो कि दिल्ली के जातीय समीकरण में फिट बैठने के साथ कार्यकर्ताओं के बीच स्वीकार्य हो। जिससे कि विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में पार्टी मजबूती से चुनाव में उतर सके।
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