साई भक्ति अंधविश्वास के सिवाय कुछ नहीं : शंकराचार्य
हरिद्वार, लोकसभा चुनाव के दौरान ‘हर-हर मोदी’ नारे का विरोध करने वाले ज्योतिष व द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिरडी के साई बाबा को अवतार मानने से इन्कार कर दिया है।
सोमवार को हरिद्वार में पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य ने कहा, ‘साई भक्ति अंधविश्वास के सिवाय कुछ नहीं। साई के मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना सनातन धर्म के विरुद्ध है। इससे ¨हदू समाज के बंटने का खतरा पैदा हो गया है। साई ¨हदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक नहीं हैं।’ शंकराचार्य इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि साई भक्ति के बढ़ते रुझान से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मुहिम भी कमजोर पड़ेगी। अविरल गंगा की पैरवी करते हुए उन्होंने गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बांध बनाने का भी विरोध किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शंकराचार्य पहले ¨हदू धर्म में व्याप्त पाखंड समाप्त करें। पाखंड समाप्त होते ही यह सब अपने-आप समाप्त हो जाएगा।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती इन दिनों चातुर्मास पर हरिद्वार में हैं। गौरतलब है कि चातुर्मास (बरसात के चार माह) में साधु-संत भ्रमण नहीं करते। कनखल स्थित शंकराचार्य निवास में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिन लोगों को धर्म का ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं है, वे साई भक्ति की बात कह रहे हैं। अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ लोग इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि वेद-पुराणों में कहीं भी साई के अवतार का उल्लेख नहीं किया गया है। कुछ लोग मंदिरों व घरों में साई की मूर्ति लगा रहे हैं, यह भगवान की आराधना नहीं है। सनातनी परंपरा में सभी देवताओं के मंत्र और यंत्र हैं। शंकराचार्य ने कहा कि साई बाबा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं है। यहां तक कि उनके नाम पर ट्रस्ट चलाने वालों में भी दूसरे धर्म के लोग हैं। साफ है कि ¨हदुओं के देवता के रूप में साई को गढ़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ¨हदू धर्म की चार पीठ सनातन धर्म की रक्षा के लिए हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस्कॉन संस्था को नगालैंड, झारखंड जैसी जगहों पर हरे रामा-हरे कृष्णा का संदेश देना चाहिए। कुछ लोग हम से ही सीखकर हमारे गुरु बनने का प्रयास कर रहे हैं।
एकता के प्रतीक नहीं
शंकराचार्य ने कहा- ये कहा जाता है कि साई बाबा हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक हैं। ये प्रतीक तो तब होता जब हिंदुओं के साथ मुसलमान भी मानते। मुसलमान तो उसे मानते नहीं। हम क्यों मानें? हमारी एकता का प्रतीक कहां हैं वो? हिन्दू- मुस्लिम एकता का भी प्रतीक नहीं हैं वो। ये एक भ्रम है जो समाज में फैलाया जा रहा है।
शंकराचार्य के इस बयान से साई बाबा में आस्था रखने वालों के नाराज होने की आशंका है।
मोदी सरकार की तारीफ
शंकराचार्य ने केंद्र की मोदी सरकार के हिंदी में कामकाज के फैसले की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि वह इस फैसले का स्वागत करते हैं और यह च्च्छा फैसला है।
सफाई घर से ही शुरू हो
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ¨हदू धर्म में कुछ तथाकथित साधु-संत अपनी पूजा- अर्चना कराने लगे हैं और खुद को भगवान की तरह प्रोजेक्ट कर रहे हैं। इसकी वजह से ही इस तरह की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि सफाई की शुरुआत अपने घर से की जानी चाहिए।
शंकराचार्य के समर्थन में उठी आवाज
हरिद्वार, जागरण संवाददाता। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साई बाबा पर दिए बयान का कई संतों ने समर्थन किया है। संतों का मानना है कि साई बाबा का ¨हदू देवताओं के समकक्ष रखकर पूजा करना सही नहीं है। वहीं, कुछ संतों का कहना है कि पहले शंकराचार्य ¨हदू धर्म में व्याप्त पाखंड को समाप्त करें। इसके बाद ही इस तरह के पाखंड को समाप्त किए जाने की बात सार्थक होगी।
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‘साई बाबा को ¨हदू देवी-देवताओं के समकक्ष रख उनकी पूजा करना सरासर गलत है। ¨हदू धर्म में अवतार की पूजा की जाती है, सनातन धर्म में साई बाबा की कोई जगह नहीं। ¨हदू सनातन धर्म के किसी ग्रंथ में भी उनका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में ¨हदू धर्म में मंदिर बनाकर उनकी पूजा करना ठीक नहीं। शंकराचार्य सही कह रहे हैं। हम उनका समर्थन करते हैं।’ -स्वामी रामानंदचार्य हंसदेवाचार्य
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‘इस देश में शंकराचार्य जो कुछ भी बोलते हैं वह विवेक पूर्वक बोलते हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा होगा वह शास्त्र सम्मत कहा होगा, तर्क सम्मत और धर्म सम्मत कहा होगा। उनकी बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए, इस पर गहन विचार-विमर्श होना चाहिए। सनातन ¨हदू धर्म से जुड़े सभी संत-महात्माओं, सभी शंकरचार्यो आदि को एक मंच पर आकर इस मुद्दे पर चर्चा करना जरुरी है।’ -महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज
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‘शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साई बाबा को लेकर जो बयान दिया है कि हम उसका पूरा समर्थन करते हैं। उन्होंने जो कहा सही कहा। साई बाबा को ¨हदू देवी- देवताओं के समकक्ष रख उनकी पूजा करना सरासर गलत है। ¨हदू धर्म के किसी ग्रंथ में उनका कोई उल्लेख नहीं है न ही उनकी पूजा विधि का। जो बात शास्त्र सम्मत सही नहीं तो फिर उसकी पूजा कैसी। साई बाबा का मंदिर बना उनकी पूजा करना ठीक नहीं।’ -महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी, परमाध्यक्ष दक्षिण काली मंदिर सिद्धपीठ
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‘शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साई बाबा को लेकर जो बयान दिया है, वह बिलकुल सही है। पूरा संत जगत उनके साथ है। सनातन धर्म की रक्षा को हम हर कदम उठाएंगे। हमारा उन्हें पूरा समर्थन है। ¨हदू शास्त्रों और धर्मग्रंथों में साई बाबा का कोई उल्लेख नहीं।’ -स्वामी ऋषिश्वरानंद, परमाध्यक्ष, चेतन ज्योति आश्रम
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‘शंकराचार्य ने साई बाबा को लेकर जो बयान दिया है, वह बिलकुल सही है। हम उनका समर्थन करते हैं। ¨हदू धर्म शास्त्र में साई बाबा की पूजा-अर्चना करने संबंधी कोई उल्लेख नहीं है। उन्हें ¨हदू देवताओं के समकक्ष रख, उनका मंदिर बना उनकी पूजा करना ¨हदू धर्म के न तो अनुकूल है और न ही धर्म संगत। ये प्रथा बंद होनी चाहिए।’
-स्वामी च्च्युतानंद तीर्थ, परमाध्यक्ष भूमानिकेतन
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