हिंदुत्व को परिभाषित नहीं किया जा सकता

नई दिल्ली, हिंदुत्व तर्क और भावना का ऐसा मेल है, जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता बल्कि इसका सिर्फ अनुभव ही किया जा सकता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह बात सोमवार को ‘हिंदू एनसाइक्लोपीडिया’ की पहली प्रति प्राप्त करते हुए कही। उन्होंने परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती को इस एनसाइक्लोपीडिया की योजना को साकार करने के लिए बधाई भी दी।

राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि हिंदू धर्म दर्शन मानव के लिए सबसे अहम लक्ष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को मानता है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मानव व्यवहार में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व तर्क और भावना का ऐसा मेल है, जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता, इसका अनुभव ही किया जा सकता है।

‘इंडिया हेरिटेज रिसर्च फाउंडेशन’ के संस्थापक और ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस मौके पर कहा कि हिंदू मूल्य सिर्फ हिंदुओं या भारत के लोगों का ही नहीं है, बल्कि यह वैश्विक ज्ञान का हिस्सा है। इसे सभी के साथ साझा करने की जरूरत को ही ध्यान में रखते हुए यह एनसाइक्लोपीडिया तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में हार्वर्ड से लेकर हिमालय तक सारे विश्व के एक हजार से ज्यादा विद्वानों का पिछले 20 वर्षो में सहयोग लिया गया।

जैन धर्मगुरु आचार्य लोकेश मुनि ने इस मौके पर कहा कि यह विज्ञान और आध्यात्म के बीच पुल बनाने का काम है। इसी तरह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने सभी धर्मो के एक-दूसरे से सीखने की जरूरत पर जोर दिया। दिल्ली के आर्क बिशप फादर अनिल जोस टामस ने सभी का साथ और सभी का विकास की धारणा को हिंदुत्व का सबसे अहम मंत्र बताया।

इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि एनसाइक्लोपीडिया हिंदुत्व का शुद्ध और दैवीय अनुभव लोगों तक पहुंचाता है। इसी तरह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जिस तरह हिंदुत्व विश्वास और समर्पण का संयोग है, उसी तरह यह एनसाइक्लोपीडिया भी लगभग एक हजार विद्वानों के विश्वास और समर्पण का मेल है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि हिंदुत्व हमें यह सीख देता है कि हम किस तरह एक-दूसरे से मिल कर रहें।

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