अनचाही सेवा देने पर आइडिया सेल्यूलर को 10 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली, मोबाइल नेटवर्क कंपनियां अक्सर ग्राहकों से पैसा ऐंठने के लिए मनमाने तरीके से किसी भी प्रकार की सेवा मोबाइल फोन कनेक्शन से जोड़ देती हैं। जिससे न चाहते हुए भी ग्राहक की जेब से पैसा ढीला होता है। ग्राहक मना करता है, मगर सेवा बंद होते-होते उसे काफी पैसा चुकाना पड़ता है। अगर कोई मोबाइल नेटवर्क कंपनी ऐसा करती है तो यह कंपनी द्वारा ग्राहक के प्रति किया गया अपराध है। इस अपराध के लिए कंपनी दंड की भागी है। यह टिप्पणी करते हुए नई दिल्ली जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सीके चतुर्वेदी ने आइडिया सेल्युलर कंपनी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

यह राशि कंपनी को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करानी होगी। कंपनी पर एक ग्राहक के न चाहते हुए भी उसके फोन पर वायस काल सेवा शुरू करने का आरोप है। इस मामले में कंपनी को पीड़ित को भी 50 हजार रुपये मुआवजा के रूप में देना होगा। यह रकम उसे एक माह के भीतर देनी है।

फोरम ने फैसले में कहा कि मोबाइल नेटवर्क कंपनियां कई बार लोगों के मोबाइल पर ऐसी सेवा शुरू कर देती हैं, जिनकी कभी उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ती। ऐसा कर कंपनियां ग्राहकों से करोड़ों रुपये कमा रही हैं। कंपनी किसी भी सेवा को शुरू करने से पहले ग्राहक को फोन कर उस सेवा के बारे में उसे पूरी जानकारी दे। फिर उसे शुरू करने के लिए एसएमएस द्वारा अनुमति मांगे। लेकिन ऐसा होता नहीं है। फोरम ने कहा कि एक बार शुरू होने के बाद किसी भी सेवा को कंपनी से बंद करवाने की प्रक्रिया बड़ी जटिल है। बड़ी संख्या में मजदूर, अशिक्षित, विकलांग, नेत्रहीन, गृहिणी व बुजुर्ग आदि मोबाइल का इस्तेमाल कर रहें हैं। जो कंपनियों द्वारा प्रदान की जा रही कई सेवाओं को समझने तक में असक्षम हैं। ऐसा कर कंपनियां ग्राहक का उत्पीड़न कर रहीं हैं।

यह था मामला

द्वारका निवासी जगदीश सिंह चौहान आइडिया कंपनी का प्रीपेड सिम कार्ड इस्तेमाल करते थे। 29 जुलाई 2010 को उनके मोबाइल पर कंपनी द्वारा वायस चेट सेवा शुरू करने के एवज में 30 रुपये प्रतिमाह सेवा शुल्क काटने का मैसेज आया। इसके बाद 2 अगस्त व 1 सितंबर 2010 को भी वायस सेवा के नाम पर उनके रुपये काट लिए गए। शिकायतकर्ता के अनुसार हर बार उनकी मर्जी के खिलाफ यह रुपये काटे गए।

उन्होंने कंपनी से इस तरह की कोई सेवा देने के लिए नहीं कहा था। इसके अलावा कंपनी से कई बार इस सेवा को बंद करने का निवेदन भी किया था। लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।

You might also like

Comments are closed.