कड़े फैसलों पर मोदी ही देंगे जनता को भरोसा
नई दिल्ली। बहुमत के साथ केंद्र में आई भाजपा इसी साल होने वाले कुछ विधानसभा चुनावों को लेकर उत्साहित तो है, लेकिन थोड़ी संशकित भी। खासकर सरकार के कठोर कदमों को लेकर रणनीति तैयार होने लगी है। आशा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है। विधानसभा चुनावों में जनता को यह समझाने की कोशिश होगी कि कठोर कदम भी संप्रग के दस साल के शासन का खामियाजा है। देश की मजबूती से ही राज्य और जनता मजबूत होगी।
अगले कुछ महीनों में जहां महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं वहीं झारखंड और दिल्ली में मौजूदा राजनीतिक उहापोह में चुनाव की आशंका को पूरी तरह नहीं नकारा जा सकता। इन राज्यों में कहीं भी भाजपा की सरकार नहीं है। महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में तो भाजपा दस से पंद्रह वर्षो से सत्ता से बाहर है। लेकिन, लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इन सभी राज्यों में सत्तारूढ़ होने की आशा जगा दी है। हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव नतीजों के हिसाब से पार्टी इन राज्यों में अपने दम पर बहुमत में होगी।
विधानसभा चुनाव को लेकर एक रणनीति के तहत जनता को यह समझाने की कोशिश होगी कि केंद्र की ओर से उठाए गए कठोर वित्तीय कदम भी कांग्रेस के कुशासन के कारण हैं। संप्रग सरकार में मची लूट के कारण देश बदहाल स्थिति में पहुंच गया। यह स्थिति बरकरार रही तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना होगा। खजाने की सेहत सुधारने के लिहाज से ही मोदी सरकार को कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं जिसका असर भविष्य में दिखेगा।
खुद मोदी कह चुके हैं कि संप्रग काल में खजाना खाली हो चुका है। देश बनाना है तो कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। राज्य भी तभी मजबूत होंगे जब देश मजबूत होगा। यह तय है कि विधानसभा चुनावों में भी मुख्य स्टार प्रचारक मोदी ही होंगे। वही राज्यों में जनता को भरोसा दिलाएंगे कि कठोर कदम जरूरी हैं। बात इतने पर ही नहीं रुकेगी। यह भी बताया जाएगा कि इन कठोर कदमों के साथ प्रशासन में बदलाव आएगा और उसका सीधा लाभ जनता के खाते में होगा। जनता के लिए सहूलियतें बढ़ेंगी। संबंधित सूबों में कांग्रेस के दस-पंद्रह साल के शासन के मुकाबले भाजपा अच्छा सुशासन देगी।
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