गंगा अभियान: मंत्रालय में डूबा गंगा का ‘वाहन’

मेरठ , केंद्र सरकार गंगा सफाई की भागीरथ योजना का खाका तैयार कर रही है, लेकिन मंत्रालयों की उदासीनता ही इसमें सबसे बड़ी बाधा इस ही सबसे बड़ी बाधा है। जलीय जीवन में पारिस्थितिकीतंत्र की खास कड़ी माने जाने वाले घड़ियालों का संरक्षण भी पर्यावरण मंत्रालय में दर्ज नहीं है। टोकियो विश्वविद्यालय, व‌र्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और आइआइटी कानुपर के साथ मिलकर मेरठ के मखदूमपुर में घड़ियालों के संरक्षण की बड़ी योजना चलाई जा रही है। मखदूमपुर में विश्व की सर्वाधिक मादा घड़ियालों की आबादी संरक्षित करने का लक्ष्य है, किंतु भारत के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पास इस योजना का कोई लेखा-जोखा नहीं।

डब्लूडब्ल्यूएफ की रिपोर्ट मानें तो विश्वभर में वंशवृद्धि में समक्ष सिर्फ दो सौ घड़ियालों में 150 से अधिक भारत में हैं। अत्यंत संकटग्रस्त प्रजाति के इस जलीय जीव के पुर्नवास पर पूरे दुनिया की नजर है। मेरठ के डाक्टर संजीव अग्रवाल ने आरटीआइ के तहत पर्यावरण एवं वचन मंत्रालय से काली, हिंडन, गंगा, यमुना की प्रदूषणमुक्ति का प्रयास एवं मेरठ के मखदूमपुर में घड़ियाल पुर्नवास परियोजना की प्रगति रिपोर्ट तलब की। मंत्रालय ने सूचना दी कि उसके पास प्रोजेक्ट घड़ियाल संबंधी कोई जानकारी नहीं है। जबकि वर्ष 2011 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक बीके पटनायक ने इस योजना के लिए मंत्रालय से बजट भी मांगा था।

ये है घड़ियाल पुनर्वास का महत्व

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रोजेक्ट मैनेजर संजीव यादव बताते हैं कि गंगेटिक घड़ियाल विश्व की 23 प्रजातियों में सबसे संकटग्रस्त है। मखदूमपुर क्षेत्र में 2008 से छोड़ गए 400 घड़ियालों में कई पर बायोलागर से उत्साहजनक नतीजे आए हैं। हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में 27 प्रकार की मछलियों से घड़ियालों को कैट फिश की भरपूर खुराक मिल रही है। हर तीन नर पर सात मादा का अनुपात रखकर नदी के पारिस्थितिकीतंत्र को स्वस्थ रखने का प्रयास किया जा रहा है। देश में पहली बार बायोमीट्रिक जांच में पता चला कि दो साल में घड़ियालों की लंबाई में 60 सेमी की वृद्धि एवं वजन में तीन गुना का अंतर आया। इससे नदी में मछलियों की संख्या में संतुलन बना रहने की वजह से प्राकृतिक जलशोधन भी होता है। डीएफओ सुशातं शर्मा का कहना है कि घड़ियाल पुनर्वास अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है। मखदूमपुर में गंगा नदी घड़ियालों के छोड़ने का कार्यक्रम सफल रहा है, जिससे नदी की इकोलोजी भी सुधरेगी।

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