इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हटाने की संभावना
बगदाद। इराक में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हटाकर किसी नए नेता को इस पद पर बैठाए जाने की संभावना है। इस बीच इराकी सैनिक, सुन्नी आतंकवादियों के कब्जे से तिकरित को मुक्त कराने के लिए इस शहर की ओर आगे बढने की कोशिश कर रहे है।
देश के प्रभावशाली शिया नेता अयातुल्लाह अली सिस्तानी ने देश के नेताओं से अगले चार दिनों में नए प्रधानमंत्री का चयन करने को कहा था, जिसके बाद नेताओं ने मलिकी को हटाने की योजना बनाई है।
मलिकी अगले साल अप्रैल में होने वाले चुनाव में तीसरी बार देश की बागडोर थामने के लिए चुनाव लड़ने वाले थे। उनके एक नजदीकी सहयोगी ने बताया कि उनकी अभी भी चुनाव लड़ने की इच्छा है, लेकिन देश के मौजूदा हालात को देखते हुए उन्हें हटाया जा सकता है।
एक सांसद और नेशनल एलायंस के एक पूर्व सरकारी अधिकारी ने बताया कि राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढाने के लिए अगले 72 घंटे देश के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इस सांसद ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही विभिन्न पार्टियों की एक आंतरिक बैठक और नेशनल एलायंस का एक सत्र होगा।
शिया नेता सिस्तानी का यह बयान शिया समुदाय और मलिकी के सहयोगियों के बीच हुई बैठक के बाद आया है। इस बैठक में आपसी सहमति से अगला प्रधानमंत्री चुना जाना था, लेकिन यह बातचीत विफल रही। शिया नेता ने प्रधानमंत्री के साथ ही नए राष्ट्रपति तथा संसद का नया अध्यक्ष चुनने की भी मांग की है।
जानकारों का मानना है कि मलिकी को यदि सत्ता में बने रहना है तो उन्हें सरकार में शिया-सुन्नी तथा कुर्द की भागीदारी बनानी होगी या सत्ता छोड़नी पड़ सकती है। चौतरफा दबावों से घिरे मलिकी ने इस स्थिति के लिए के अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को जिम्मेदार ठहराया है।
इस बीच इराकी सैनिकों का तिकरित को सुन्नी आतंकवादियों के कब्जे से छुडाने का अभियान जारी है और सैनिक समारा की ओर से तिकरित में घुसने की कोशिश में लगे हैं।
इराकी सेना ने कहा है कि सुन्नी आतंकवादियों के कब्जे से तिकरित को वापस हासिल करने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू कर दिया गया है।
इराकी वायुसेना के हेलिकाप्टरों ने कल आतंकवादियों के कब्जे वाले तिकरित शहर के यूनिवर्सिटी कैंपस में गोलीबारी की। इस अभियान के तहत सुन्नी आतंकवादियों और इराकी विशेष बलों के बीच भारी संघर्ष हुआ।
इराकी सेना के सूत्रों ने दावा किया है कि उसने यूनिवर्सिटी पर कब्जा कर लिया है लेकिन आईएसआईएस का कहना है कि उन्होंने इराकी सेना के हमले का करारा जवाब दिया है।
सुन्नी आतंकवादियों ने 10 जून को देश के सबसे बड़े उत्तरी शहर मोसुल पर कब्जा कर लिया था। इराकी सेना तब से इन आतंकवादियों के खिलाफ संघर्ष कर रही है। आईएसआईएस तब अस्तित्व में आया था जब संगठन के नेता अबु बक्र अल बगदादी ने अलकायदा नेतृत्व की अनदेखी करके सीरिया की ओर रूख किया था और लगभग एक साल पहले राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ गृहयुद्ध में हिस्सा लिया।
आईएसआर्ईएस में कई सुन्नी आंतकवादी समूह शामिल हैं। इनका कहना है कि अपने आठ साल के शासनकाल में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी ने सुन्नी समुदाय की बुरी तरह उपेक्षा की है इसलिए अब सुन्नी समुदाय अपना हक पाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
आंतकवादियों का प्रभाव जिस तेजी से बढ रहा है उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वह देश को कई टुकड़ों में बांटने पर आमादा हैं। दो महीने पहले निर्वाचित इराक की नई संसद का सत्र मंगलवार को बुलाया गया है जिसमें सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अमेरिका और अन्य देशों को उम्मीद है कि इराक में आतंकवाद का खात्मा होगा।
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