इराकी जिहाद में ‘भारतीय आतंकी भी शामिल’, अलर्ट जारी
तमिलनाडु मे पैदे हुए 38 वर्षीय हाजी फकरुदीन उस्मान अली पर शक है कि वह सुन्नी चरमपंथी गुट आईएसआईएस के साथ मिलकर इराक में संघर्ष कर रहा है। उस्मान अली के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उसे भारतीय सीमा में घुसने से रोकने के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों को भी अलर्ट रहने के आदेश दिए गए हैं। दूसरी तरफ, भारत ने इराक में फंसे भारतीयों को निकालने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
उस्मान अली अब सिंगापुर का बाशिंदा है और कहा जाता है कि वह सीरिया के गृहयुद्ध में भी शामिल हुआ था। अधिकारियों का कहना है कि उस्मान अली भारतीय कनेक्शन वाले किसी शख्स का इराकी जिहाद में शामिल होने का पहला ठोस उदाहरण हो सकता है। कई सुरक्षा एजेंसिया इराक की स्थिति पर नजर रखी हुई हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उस्मान अली के खिलाफ भारत में कोई मुकदमा नहीं है। उसके खिलाफ कभी रेड कॉर्नर नोटिस भी नहीं जारी किया गया है।
सिंगापुर सरकार से सूचना मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उस्मान अली के भारतीय संपर्कों के बारे में जानकारी जुटाई और उन सब पर नजर रखी गई। सिंगापुर सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक, उस्मान अली वहां बतौर सुपरस्टोर मैनेजर काम करता था और 2007 में वह पहली बार ‘धार्मिक मिशन’ से जुड़ा। इसके बाद 2013 में वह पहली बार सीरिया गया। बताया जाता है कि सिंगापुर जाने के बाद उसने वहां की नागरिकता हासिल कर ली थी।
सूत्रों के मुताबिक, उस्मान अली को कट्टरपंथी बनाने में तमिलनाडु के ही एक शख्स गुल मोहम्मद का हाथ था, जिसे हाल ही में सिंगापुर से भारत प्रत्यर्पित किया गया है। इंटेलिजेंस एजेंसियों की नजर में आने से पहले गुल मोहम्मद सिंगापुर में एक मल्टिनैशनल कंपनी के साथ काम कर रहा था। गुल मोहम्मद ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया था कि उसने कई कट्टरपंथी युवाओं को सीरिया जाने के लिए आर्थिक सहायता दी थी। जब एजेंसियों ने गुल मोहम्मद के दावे की हकीकत जाननी चाही तो जांच में पता चला कि उस्मान अली जिहाद में शामिल होने के लिए तुर्की के रास्ते जनवरी में सीरिया पहुंचा था।
इस बीच, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक की स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए खाड़ी देशों में भारत के राजदूतों और दूतों के साथ बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य इराक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें बाहर निकालने के लिए भविष्य की रणनीति तैयार करना था।
भारत ने गैर-संघर्ष वाले क्षेत्रों से करीब 10 हजार भारतीयों को निकलने में मदद के लिए तीन कैंप कार्यालय स्थापित किए हैं। विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता ने कैंप कार्यालयों का ब्योरा देते हुए शनिवार को कहा था कि उन कैंपों के अधिकारी भारतीयों के काम करने के ठिकानों पर जाएंगे और उनके चाहने पर वापसी में मदद करेंगे। यात्रा दस्तावेज मुहैया कराने के अलावा मंत्रालय उन्हें मुफ्त हवाई टिकट भी मुहैया कराएगा।
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