ब्रिक्स बैंक में सभी सदस्य देशों की बराबर हिस्सेदारी

फोर्तालेजा (ब्राजील)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की छवि को बिल्कुल अलग तरीके से पेश करने की तैयारी कर चुके हैं। वह कहीं भी उसे पिछड़े और पिछलग्गू की तरह पेश नहीं करना चाहते। यही वजह है कि ब्रिक्स देशों के सम्मलेन में वह 50 अरब डॉलर की रकम से बन रहे प्रस्तावित ब्रिक्स विकास बैंक में पांचों सदस्य देशों की बराबर हिस्सेदारी पर जोर देंगे।

ब्रिक्स में भारत के साथ ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसका संयुक्त भूभाग विश्व का तकरीबन एक चौथाई है और आबादी लगभग 40 फीसद है। ब्रिक्स विकास बैंक का मुख्यालय बनाने को लेकर दिल्ली और चीन के शंघाई में प्रतिस्पर्धा है।

मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा और मेजबान राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ के साथ मंगलवार को प्रस्तावित बैंक, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे और अन्य मुद्दों पर यहां चर्चा करेंगे। भारत हर हाल में चाहता है कि ब्रिक्स विकास बैंक का हश्र अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ), विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसा न हो, जहां अमेरिका और जापान जैसे धनी देशों का स्पष्ट दबदबा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार जैसे अन्य मुद्दों पर भी मोदी दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान भारत का पक्ष रखेंगे।

ब्रिक्स विकास बैंक की अवधारणा 2012 में दिल्ली में रखी गई थी। बीते साल डरबन में इस पर मुहर लगी। 50 अरब डॉलर की शुरुआती रकम से इसकी स्थापना होनी है। नए सदस्यों के जुड़ने के साथ इसके दायरे को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर का किया जाना है। शुरुआती 50 अरब डॉलर के लिए भारत चाहता है कि सभी सदस्य 10-10 अरब डॉलर की बराबर हिस्सेदारी करें। भारत के लिए अन्य प्राथमिकताएं बैंक की अगुआई और उसे दिए जाने वाले नाम को लेकर हैं। इसे वह न्यू डेवलपमेंट बैंक नाम देना चाहता है। इसके स्थापना के तौर-तरीकों में भारत सरलता की मंशा रखता है। अमूमन ऐसी संस्थाएं अत्यधिक जटिल होती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के लिए रवाना होते हुए कहा था कि वह अंतर-ब्रिक्स आर्थिक सहयोग को और अधिक बढ़ाने के लिए चर्चा करेंगे। इस बात की संभावना तलाशी जाएगी कि कैसे उनके संयुक्त प्रयास अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता और समृद्धि में सहायक साबित हो सकते हैं। सरकार गठन के बाद पहली बार मोदी चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के प्रमुखों से मिलेंगे। उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में वित्त राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एके डोभाल, विदेश सचिव सुजाता सिंह और वित्त सचिव अरविंद मायाराम शामिल हैं। यही नहीं, चीन और रूस के प्रमुख भी अगले कुछ महीनों में भारत दौरा करेंगे। शी के सितंबर और पुतिन के नवंबर-दिसंबर में भारत आने की उम्मीद है।

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