खतरनाक इबोला वायर्स के युरोप एवं उत्तरी अमेरिका में फैलने का डर
* कैनेडा द्वारा बचाव यत्न शुरू
इस बात का डर फैलने लगा है कि मारू इबोला नाम का वायर्स अब साउथ अफ्रीका से बाहर इंगलैंड एवं हाँगकाँग में भी फैलने लगा है।
विदेश सचिव फिलिप हैमाँड ने चेतावनी के रूप में कहा कि यह वायर्स शायद यूथकेथ में भी पहुंच चुका है पर साथ ही उन्होंने कहा कि यहां इसके फैलने का उतना डर नहीं है क्योंकि हमारे पास इंफैक्शन को काबू करने के लिए बढिय़ा स्टैंडर्ड मौजूद है।
एक अमेरिकी डॉक्टर कैंट ब्रैंटली का कहना है कि लायबीरिया में इस बिमारी का इलाज करने के बाद वे डरे हुए हैं। इस तरह एक हाँगकाँग की महिला को इबोला चिपक जाने की शंका थी जो किस्मत से नहीं निकला।
अफ्रीका में यह किटाणू अपने पैर बड़े स्तर पर पसार चुका है और अब तक गीने, लाईबीरिया एवं सिएरा ल्योन में इस से 700 मौतें हो चुकी हैं। इबोला को अब तक का सब से मारू वायर्स माना जा रहा है जो मानव में पाया गया है।
आज की घटनाएं इस वायर्स को ले कर कुछ इस तरह हैं। हाँगकाँग एंव इंगलैंड में इस के खिलाफ चेतावनी दी गई है और डर है कि यह साउथ अफ्रीका में से यहां भी फैल सकता है। बर्मिंघम के एक अस्पताल में हाल ही में नाईजीरिया से वापिस आए व्यक्ति का टैस्ट किया गया है। बेशक इसको वायर्स न होने के बारे में कहा गया है पर डर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।
स्थानीय मीडिया अनुसार हाँगकाँग में एक महिला को अस्पताल में ही कैद रखा हुआ है जिस को शायद यह वायर्स होने का डर है। यह महिला के टैस्ट चल रहे हैं और यह भी हाल ही में अफ्रीका से आई है और इबोला जैसे लक्षण इस में पाए गए हैं।
इबोला को ले कर इंगलैंड के विदेश सचिव फिलिप हैमाँड ने एक तुरंत मीटिंग अधिकारियों से की है। इबोला को अब तक का मानव का सब से बड़ा दुश्मन माना जा रहा है। जो भी इससे पीडि़त होता है में से 90 प्रतिशत को यह निगल जाता है। वर्लड हैल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा कहा गया है कि अफ्रीका में फैलने वाला अब तक का यह सब से बड़ा घातक वायर्स है। इसका अभी तक कोई ईलाज नहीं है। मार्च माह से ले कर अब तक 672 लोग मर चुके हैं और 1000 लोग इस से प्रभावित हुए है।
कुछ डॉक्टर्स ने इसके अफ्रीका से बाहर चले जाने की शंका भी जाहर किया है। इंगलैंड एवं हाँगकाँग के बाद इसका उत्तरी अमेरिका में आने का डर है।
वहीं हैल्थ कैनेडा का कहना है कि बेशक इबोला वायर्स अफ्रीका में फैला हुआ है पर कैनेडा में इसके आने के अवसर बहुत कम है। एजंसी का कहना है कि इस जैसा कैनेडा में कभी कोई केस नहीं आया है पर फिर भी हमें पहले से ही बचाव के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। एजंसी के कहना है कि कैनेडा को आने वाले सभी यात्रियों की सक्रीनिंग कैनेडा बार्डर सर्विस एजंसी द्वारा की जाती है कि कहीं कोई बीमार हो के कैनेडा में तो नहीं आ रहा। ऐसा 24 घंटे 7 दिन चलता रहता है। अगर किसी कर्मचारी को किसी के थोड़ा सा भी बीमार होने की शंका होती है तो उसको तुरंत सबंधित आफिसर को इतलाह करनी पड़ती है।
यह वायर्स जंगली जानवरों से मानवों को जाता है। यह बीमारी अकसर बुखार, कमजोरी, सिर एवं गला दुखने से शुरू होती है। इससे आगे यह उल्टी, दस्त, खुजली, लिवर का फेल होने से किडनी की कमजोरी एवं खून बहने तक चली जाती है।
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