भारत को उठाना होगा दक्षिण चीन सागर की आजादी का जिम्मा

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हनोई, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वियतनाम यात्रा के दौरान सोमवार को अपने समकक्ष फाम बिन मिन और प्रधानमंत्री गुएन तान दंग से मुलाकात की। इस दौरान पीएम दंग ने कहा कि दक्षिण चीन सागर की आजादी का जिम्मा भारत को उठाना होगा। वियतनामी नेतृत्व ने सुषमा को इस इलाके में चीन के साथ जारी तनातनी पर विस्तृत जानकारी भी दी।

आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक्स के तीसरे गोलमेज सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए दंग ने मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति की प्रशंसा की। साथ ही, कहा कि संसाधनों से भरपूर दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा एवं इसे इस्तेमाल करने की आजादी बरकरार रखने के लिए भारत को बड़ा योगदान देना होगा। चीन से खराब हो रहे संबंधों के बाद यह कम्युनिस्ट राष्ट्र भारत की ओर सहयोग की दृष्टि से देख रहा है।

सम्मेलन में स्वराज ने कहा कि हमें आसियान देशों और भारत के बीच संपर्क बढ़ाने के रास्ते खोजने होंगे। उन्होंने पर्यटन, वीजा, कारोबार, कौशल और तकनीक को आसियान के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। सुषमा ने हनोई को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मित्र करार दिया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि भारत सरकार पड़ोसियों के बाद अब आसियान पर ध्यान केंद्रित कर चुकी है। विदेश मंत्री स्वराज भी म्यांमार और सिंगापुर के बाद अब वियतनाम पहुंची हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी जापान यात्रा इसी नीति का परिणाम है। सुषमा की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा व तेल सेक्टर में सहयोग बढ़ाने के समझौते भी हुए हैं।

अकबरुद्दीन ने रक्षा सहयोग के सवाल पर कहा कि नई दिल्ली और हनोई के संबंधों में यह बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। तेल क्षेत्र में भारतीय निवेश पर भी विस्तृत चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण और कैदियों के ट्रांसफर समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए हैं। हालांकि, उन्होंने वियतनाम द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद से इन्कार किया।

सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अगले महीने वियतनाम आ रहे हैं। उस दौरान रक्षा, सुरक्षा और व्यापार सेक्टर में कई महत्वपूर्ण समझौते हो सकते हैं। स्वराज ने प्रधानमंत्री दंग को भारत आने का न्योता भी दिया।

प्रणब की यात्रा के दौरान तोहफे में दिया जाएगा बोधि वृक्ष:

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अगले महीने वियतनाम यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान वह हनोई सरकार को बोध गया के पवित्र महाबोधि वृक्ष का एक टुकड़ा सौंपेंगे।

विदेश मंत्री स्वराज ने हनोई में बताया कि बौद्ध समुदाय दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। यह भारत और वियतनाम को जोड़ता भी है। पिछले साल ऐसा ही टुकड़ा थाइलैंड को दिया गया था।

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