नौकरशाहों के लिए आसान नहीं होगी विदेश की सैर

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नई दिल्ली, सरकारी कार्यक्रम के बहाने विदेश जाकर मौजमस्ती करना अब नौकरशाहों के लिए आसान नहीं होगा। अफसरों की इस हरकत पर मोदी सरकार की पैनी नजर है। सरकारी खजाने की फिजूलखर्ची रोकने के लिए केंद्र ने अफसरों के विदेश दौरे के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] से मंजूरी अनिवार्य कर दी है। इतना ही नहीं पीएमओ पहुंचने से पूर्व नौकरशाहों की दौरा संबंधी फाइल अनुमोदन के लिए सचिवों की स्क्रीनिंग कमेटी से भी होकर गुजरेगी।

सरकार का मानना है कि अफसरों के विदेश दौरों के लिए सामान्य प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया जा रहा है। लिहाजा विदेश दौरा प्रक्रिया को बेहद कठिन बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय सचिवालय और वित्त मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि विदेश जाने के लिए पीएमओ, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी है। इसके साथ ही अफसरों के विदेश दौरे का पूरा कार्यक्रम संबंधित विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।

दिशा-निर्देशों के अनुसार नौकरशाहों के विदेश दौरे के औचित्य पर सबसे पहले वित्त मंत्रालय की एकीकृत वित्त डिवीजन से परामर्श आवश्यक है। इसके बाद ही फाइल को अनुमोदन के लिए मंत्रालय के सक्षम अधिकारियों के यहां अग्रसारित किया जा सकेगा। वित्त मंत्रालय ने विदेश यात्रा प्रोफार्मा [एफटीपी] में समीक्षा के बाद पिछले महीने यह दिशा-निर्देश जारी किया था। अब एफटीपी के साथ विदेश यात्रा के लिए आमंत्रण पत्र, एजेंडा, संबंधित देश का संक्षिप्त ब्योरे के साथ पीएमओ, विदेश और गृह मंत्रालय से मंजूरी पत्र संलग्न करना अनिवार्य कर दिया गया है। अफसरों के विदेश दौरे के संबंध में यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि दौरे के बारे में सभी प्रस्ताव केवल विभागीय अतिरिक्त सचिव और वित्त सलाहकार द्वारा ही सचिवों की स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष भेजा जाएगा। यह प्रस्ताव दौरे से दस या पंद्रह दिन पूर्व पीएमओ और स्क्रीनिंग कमेटी को प्रेषित किया जाना चाहिए।

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