केंद्रीय एजेंसियों के हवाले राहत-बचाव का काम
नई दिल्ली ,कुदरत के कहर ने कश्मीर घाटी के स्थानीय प्रशासन को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। हालत यह है कि घाटी की भौगोलिक स्थिति से अनजान केंद्रीय एजेंसियों को राहत और बचाव कार्यो को संभालना पड़ रहा है। संचार सेवाओं के अभाव में उनके बीच भी तालमेल नहीं बन पा रहा है। हालत यह है कि राहत एवं बचाव कार्यो की निगरानी करने वाले वरिष्ठ अधिकारी भी श्रीनगर में अधिकारियों से संपर्क और तालमेल के लिए जूझ रहे हैं। सरकार अब बाढ़ से अछूते इलाकों से कर्मचारियों को श्रीनगर में तैनात करने पर विचार कर रही है।
केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने कहा कि वे आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार की हरसंभव मदद के लिए तैयार हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के स्पष्ट निर्देश भी हैं। लेकिन राज्य की उमर अब्दुल्ला सरकार यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उसे किस तरह की और कितनी मात्रा में सहायता चाहिए। राज्य सरकार की जरूरतों को समझने के लिए वहां के संयुक्त सचिव योजना बीआर शर्मा को दिल्ली तलब किया गया है। शर्मा ने गृह मंत्री और कैबिनेट सचिव से मुलाकात कर हालात की जानकारी दी। बीडी शर्मा को दिल्ली में रहकर राज्य की ओर केंद्रीय एजेंसियों से तालमेल करने को कहा गया है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि श्रीनगर में सामान्य प्रशासन का कहीं नामोनिशान नहीं है। राज्य सचिवालय और पुलिस मुख्यालय समेत तमाम सरकारी भवनों में पानी भर गया और उसके कर्मचारी खुद अपने-अपने घरों में फंसे हैं। ऐसे में बाहर से गए जवानों को ही राहत एवं बचाव का काम करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पुलवामा और अनंतनाग जैसे बाढ़ की आपदा से बचे इलाकों से अब सरकारी कर्मचारियों को श्रीनगर पहुंचाने की तैयारी चल रही है। ताकि केंद्रीय एजेंसियां उनके निर्देशन में बचाव कार्य कर सकें। श्रीनगर से निचले इलाकों से पानी निकालने के लिए बड़े मोटरपंप भी भेजे गए हैं, लेकिन उनका उपयोग झेलम नदी का जलस्तर कम होने के बाद ही हो सकेगा।
गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने कहा कि राहत व बचाव कार्यो में तेजी लाने के साथ-साथ संचार सेवाओं और बिजली की आपूर्ति प्राथमिकता में है। अब तक लगभग सौ सेटेलाइट फोन भेजे जा चुके हैं, लेकिन वे जरूरत को पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं। क्षतिग्रस्त और पानी में डूबे मोबाइल टॉवरों को दोबारा चालू करने के लिए नए उपकरण हवाई जहाज से श्रीनगर पहुंचाए जा रहे हैं और मंगलवार देर रात तक थोड़ी बहुत संचार सेवाएं शुरू होने की उम्मीद है। इसके साथ ही बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करने की कवायद शुरू हो गई है। राहत शिविरों और ऊंचे स्थानों पर फंसे लोगों तक सोलर लालटेन पहुंचाने की कवायद भी शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय ने 6000 सोलर लालटेन भिजवाए हैं। बचाव कार्य में लगी एजेंसियों को केंद्र की ओर से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए लोगों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। गृह सचिव ने कहा कि एजेंसियों को इनकी सूची बनाने को कहा गया है, जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इससे बाढ़ में फंसे लोगों की स्थिति के बारे में उनके रिश्तेदारों और दोस्तों को जानकारी मिल सकेगी।
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