दिल्ली में सरकार गठन के लिए एक माह की मोहलत
नई दिल्ली ,सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली में सरकार गठित करने के बारे में फैसला करने के लिए एक महीने का और समय दे दिया है। उधर, विधायकों के खरीद-फरोख्त को लेकर आम आदमी पार्टी की शिकायत पर कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई नहीं की और मसला अगली बार के लिए टाल दिया।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने दिल्ली में विधानसभा भंग कर चुनाव कराए जाने की आप की याचिका पर सरकार से 10 अक्टूबर तक फैसला लेने को कहा। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि जनहित में कोई हल निकले। या तो सरकार का गठन हो या फिर चुनाव हो।
याचिकाकर्ता आप की ओर से आज कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामे के साथ स्टिंग की सीडी भी सौंपी गई थी। पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल मामला सुनने के लिए स्वयं कोर्ट पहुंचे थे। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वे अगली सुनवाई पर 10 अक्टूबर को इस पर विचार करेंगे।
आप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन ने कहा कि कोर्ट ने केंद्र को फैसला करने के लिए पांच सप्ताह का समय दिया था, जो कि बीत चुका है। मामले पर शीघ्र सुनवाई की जाए, क्योंकि बड़े पैमाने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है और उनके पास इसके दस्तावेजी सबूत हैं। लेकिन, भाजपा और केंद्र सरकार ने आरोपों का खंडन किया।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पी. नरसिम्हन ने कहा कि इस मामले में प्रक्रिया शुरू हो गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकार गठन के लिए चार सितंबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। नरसिम्हन ने अदालत में उपराज्यपाल का पत्र पढ़ कर सुनाया जिसमें उपराज्यपाल ने भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का निमंत्रण देने की अनुमति मांगते हुए कहा है कि भाजपा अभी भी सबसे बड़ा दल है। नरसिम्हन ने कोर्ट को बताया कि अभी तक राष्ट्रपति की ओर से जवाब नहीं मिला है।
जवाब मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। इस पर पीठ ने पूछा कि कितना समय चाहिए। नरसिम्हन ने अक्टूबर के अंत तक का समय मांगा लेकिन कोर्ट राजी नहीं हुआ। पीठ ने कहा बहुत देर हो जाएगी।
नरसिम्हन ने आप की याचिका निरस्त करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि मामला उनके सामने है और वे इस पर सुनवाई करेंगे।
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