अखिलेश ने लगाया केंद्र पर यूपी की उपेक्षा का आरोप
लखनऊ, कोयले की कमी और उससे गहराये बिजली संकट को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच रार थमती नहीं दिख रही है। बिजली संकट को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा करने के बाद अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यूपी में बिजली की समस्या की अनदेखी कर रही है।
अखिलेश ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि बिजली उत्पादन इकाइयों को कोयला आवंटित करने के लिए राज्य की ओर से केंद्र सरकार को कई पत्र भेजे गए हैं, लेकिन केंद्र का रवैया ठंडा रहा है। कई पत्र लिखने के बावजूद केंद्र की प्रतिक्रिया का इंतजार है। बकौल, मुख्यमंत्री, कोयले की किल्लत की वजह से राज्य सरकार ने बुधवार के लिए एनर्जी एक्सचेंज से 17 मेगावाट बिजली खरीदी है जिससे जनता को असुविधा का सामना न करना पड़े।
केंद्रीय कोटे से भी यूपी को कम बिजली मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली की कमी से जूझ रहे यूपी को इस समस्या से निपटने के लिए अनावंटित हिस्से से महंगी दर पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। यदि यूपी को समुचित मात्रा में कोयला उपलब्ध हो तो राज्य को अपनी विद्युत उत्पादन इकाइयों और एनटीपीसी से पर्याप्त बिजली मिल सकती है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर यह हमला उस दिन बोला जब नई दिल्ली में राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन चल रहा था। ऊर्जा महकमा खुद मुख्यमंत्री के अधीन है। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर सम्मेलन में यूपी की नुमाइंदगी करने वाले राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी ने भी यह साफ किया कि बीते तीन महीने से प्रदेश के सभी बिजली उत्पादन संयंत्रों को पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिलने से विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है। कोयले की कमी के चलते उत्तर क्षेत्र में एनटीपीसी की कई इकाइयां या तो ठप हो गई हैं या क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की बीते सौ दिनों की उपलब्धियां बताते हुए बीते रविवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि बिजली संकट की समस्या के लिए यूपी खुद जिम्मेदार है। उन्होंने कहा था कि बिजली समस्या से निपटने के लिए राजस्थान, आंध्र प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों ने तो केंद्र से बात की, लेकिन यूपी ने नहीं। बिजली की चोरी की वजह से यूपी में लाइन हानियां 42 फीसद है। ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन की दिक्कतों से पैदा होने वाले बिजली संकट से निपटने में भी यूपी असहयोग कर रहा है। पावर डेवलपमेंट फंड से यूपी ने आज तक कोई योजना केंद्र सरकार को नहीं भेजी है।
कोयले की कमी से दो और बिजली इकाइयां ठप
कोयले की कमी से बिजली संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार को बिजली की दो और इकाइयां ठप हो गईं। बिजली की कमी से निपटने के लिए अधाधुंध कटौती का दौर जारी है।
उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा झांसी में संचालित पारीछा संयंत्र की 110 मेगावाट क्षमता की एक और इकाई ने कोयले की आपूर्ति न होने से काम करना बंद कर दिया है। दूसरी ओर लैन्को द्वारा संचालित अनपरा ‘सी’ की 600 मेगावाट क्षमता की इकाई भी कोयले की कमी के चलते ठप हो गई है। दोनों इकाइयां ठप होने से बिजली महकमे में हड़कंप मच गया है। मौके की नजाकत को भांपते हुए विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक कामरान रिजवी तत्काल अनपरा के लिए रवाना हो गए। पारीछा संयंत्र की 210 मेगावाट की एक अन्य इकाई पहले से ही बंद है। रोजा संयंत्र में 300 मेगावाट की एक इकाई भी पहले से ठप है।
केंद्र की तोहमत
* खराब कानून-व्यवस्था से बिजली के ठेकेदार काम नहीं करना चाहते।
* बिजली समस्या पर मुख्यमंत्री को मुझसे मिलने का वक्त ही नहीं।
* यूपी सरकार ने बिजली क्षेत्र से संबंधित योजना नहीं भेजी।
* यूपी में लाइन लॉसेज के नाम पर 42 प्रतिशत बिजली गायब।
* सीएम के पत्र पर पुराना कोटा बहाल किया, पर यूपी ने लेना बंद किया।
राज्य के आरोप
* केंद्र यूपी में बिजली समस्या की कर रहा अनदेखी
* कोयला आवंटन के लिए कई पत्र भेजे, प्रतिक्रिया का अभी इंतजार।
* राज्य को महंगी कीमत पर केंद्र से खरीदनी पड़ रही बिजली।
* केंद्र से कोयला आपूर्ति पर्याप्त हो तो नहीं रहे बिजली संकट।
* यूपी सबसे बड़ा राज्य। यहां बिजली की ज्यादा मांग को केंद्र ध्यान में रखे।
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