बिस्मिल्लाह खां की रियाजी शहनाई गायब, कदीमी सुरक्षित
वाराणसी। जिसे लेकर पूरे शहर में हो हल्ला मचा है, मुहर्रम की पांचवीं और आठवीं तारीख को मातमी सुरों से कर्बला के शहीदों को आंसुओं का नजराना पेश करने वाली शहनाई सम्राट भारत रत्न मरहूम बिस्मिल्लाह खां की चांदी वाली वह कदीमी शहनाई उनके वारिसानों के पास अब भी सुरक्षित है। जिस शहनाई के गुम हो जाने की बात की जा रही है, दरअसल वह उस्ताद की लकड़ी वाली उन पांच शहनाइयों में से एक है जिनसे वह रियाज किया करते थे। वर्ष 2009 में गायब यह शहनाई उस्ताद ने अपने बेटे उस्ताद नैय्यर हुसैन (अब मरहूम) को भेंट दी थी। उनकी बीमारी के दौरान यह साज न जाने कहां खो गया।
खां साहब के वारिसान ने बुधवार को जब स्पष्ट किया कि कदीमी शहनाई मंझले पुत्र काजिम हुसैन के पास सुरक्षित है तो उस्ताद के चाहने वालों ने राहत महसूस की। काजिम हुसैन ने बताया कि उस्ताद के उस्ताद और उनके नाना अलीबख्श ने जो शहनाई उन्हें तोहफे में दी थी, वह शहनाई भी हमारे पास मौजूद है। सराय हड़हा वाले मकान के निर्माण के बाद नवनिर्मित ‘बिस्मिल्लाह खां हाल’ में अब्बा की ये सभी निशानियां संजोई जाएंगी।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का पारिवारिक मसला सार्वजनिक होने से उस्ताद के बड़े साहबजादे हाजी मेहताब हुसैन आहत हैं। उनका कहना है कि भारत रत्न की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। चौके का झगड़ा चौक तक नहीं जाना चाहिए। पांच साल पहले अगर एक शहनाई गुम हो गई थी तो आरोप लगाने वाले लोग उस समय कहां थे। उस समय थाना पुलिस नहीं किया गया कि शक पर कई लोग परेशानी में पड़ जाते। दूसरी ओर शहनाई चोरी हो जाने का आरोप लगाने वाले खां साहब के छोटे पुत्र तबला वादक उस्ताद नाजिम हुसैन का कहना था कि वह जो कुछ कर रहे हैं, अच्छा कर रहे हैं। अब्बा के नाम पर धब्बा नहीं लगने देंगे। उनकी निशानियां देश की धरोहर हैं।
कीमती है यह शहनाई
बताया जाता है कि उस्ताद बिस्मिल्ला खां इसी शहनाई को लेकर देश-विदेश जाते थे। उन्हें इस शहनाई से इतना लगाव था कि वे सोते समय भी इसे अपने सिरहाने के पास ही रखते थे।
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