अमित शाह पर चार्जशीट का संज्ञान लेने से कोर्ट का इन्कार

मुजफ्फरनगर , भड़काऊ भाषण देने के आरोप में तत्कालीन प्रदेश प्रभारी भाजपा अमित शाह पर दर्ज मुकदमे में पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट को अदालत ने वापस कर दिया है। कोर्ट ने विवेचना में कमी बताते हुए आरोपपत्र का संज्ञान लेने से इन्कार कर दिया। कहा कि पुलिस ने सीआरपीसी की धारा-173 (2) का अनुपालन नहीं किया और न ही धारा-188 में प्राइवेट कंप्लेंट दर्ज कराई गई। अदालत ने टिप्पणी की कि केस डायरी में कहीं भी आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है।

लोकसभा चुनाव से पहले चार अप्रैल को नई मंडी कोतवाली क्षेत्र में हुई सभा को भाजपा के तत्कालीन उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने संबोधित किया था। वे अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में एसओसी चकबंदी रामकुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था।

चार्जशीट जमाकर्ता अधिकारी सीओ नई मंडी ने बुधवार को धारा-188 व धारा 123 (3) ए जनलोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में शाह के खिलाफ चार्जशीट एसीजेएम तृतीय की कोर्ट में दाखिल की लेकिन कोर्ट ने देर रात तक इसका संज्ञान नहीं लिया। गुरुवार को कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ चार्जशीट सीओ को वापस कर दी कि पुलिस ने सीआरपीसी की धारा-173 (2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। धारा-188 के तहत दर्ज मुकदमे में मजिस्ट्रेट की ओर से प्राइवेट कंप्लेंट भी नहीं दर्ज कराई गई। नई मंडी सीओ योगेंद्र सिंह ने अदालत में पेश होकर पुलिस का पक्ष रखा लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलें अस्वीकार कर दीं।

सीआरपीसी की धारा-173 (2)

पक्ष क्या हैं? सूचना की प्रकृति क्या है? किसने अपराध किया? आरोपी की गिरफ्तारी के लिये किए प्रयास का ब्योरा, मुचलका पाबंद या अन्य शर्तो के अनुपालन की कार्यवाही। धारा-170 के तहत कस्टडी में पेशी आदि तथ्यों पर न्यायालय में पुलिस को इस धारा के तहत रिपोर्ट दाखिल करनी होती है।

यह है प्राइवेट कंप्लेंट

मजिस्ट्रेट द्वारा जारी की गई धारा-144 का अनुपालन नहीं होने या उल्लंघन होने पर पुलिस धारा-188 के तहत मुकदमा दर्ज करती है। मुकदमे में कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए धारा-144 का आदेश लागू करने वाले मजिस्ट्रेट को ही न्यायालय में प्राइवेट कंप्लेंट दर्ज करानी पड़ती है। अनिवार्यता पूरी करने पर ही इस धारा में कार्रवाई आगे बढ़ती है।

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