पूर्व कैग ने कहा, मेरा फोन टैप करा रही थी मनमोहन सरकार
नई दिल्ली। कोयला खदानों के अवैध आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निशाने पर लिया है। विनोद राय ने दावा किया कि संप्रग सरकार उनका फोन टैप करा रही थी और इस बारे में उन्हें कोई संदेह नहीं। उन्हें सौ प्रतिशत यकीन है कि ऐसा हो रहा था।
एक समाचार चैनल के अलावा एक साप्ताहिक पत्रिका से बातचीत में राय ने दावा किया कि मनमोहन सरकार उनके फोन टैप करा रही थी। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने खुफिया निदेशक से सीधे पूछा था कि क्या उनके पास मेरा फोन नंबर है। इस पर उनका जवाब था कि, ‘मेरे पास आपका एक मोबाइल नंबर है। क्या आपके पास कोई और नंबर भी है।’ खुफिया निदेशक के सवाल पर मैंने उन्हें बताया था कि एक और मोबाइल नंबर भी है जो मैं आपको दे दूंगा।
राय के मुताबिक मनमोहन सिंह को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के साथ-साथ कोयला खदानों के आवंटन में घपलेबाजी की जानकारी थी और उन्होंने आगाह किए जाने के बावजूद कुछ नहीं किया। राय ने दावा किया कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को आगाह किया था, लेकिन उन्होंने घोटाला रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अगर मनमोहन सिंह चाहते तो संचार मंत्री ए.राजा को 2 जी स्पेक्ट्रम का मनमाना आवंटन करने से रोक सकते थे। वह इस मनमाने आवंटन के फैसले में शामिल थे। वह राजा की ओर से लिखे गए सारे पत्रों का तो जवाब दे रहे थे, लेकिन उन्होंने मेरे एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया। एक बार जब मैंने इस बारे में उनसे पूछा तो वह बोले, मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मुझसे जवाब की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने मनमोहन सिंह से 16 नवंबर 2010 को विज्ञान भवन में हुई एक मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि 2जी घोटाले में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पर प्रधानमंत्री का कहना था कि आकलन का यह सही तरीका नहीं है। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि सर यह वही अर्थशास्त्र है जो आपने मुझे पढ़ाया है।
पूर्व कैग प्रमुख ने कोयला घोटाले को लेकर भी मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा किया। उनके अनुसार तत्कालीन वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी और खुद उन्होंने मिलकर प्रधानमंत्री को कोयला घोटाले के बारे में चेताया था, लेकिन वह निष्क्रिय बने रहे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस के कई नेताओं और खास तौर पर संदीप दीक्षित, संजय निरुपम और अश्विनी कुमार ने उन पर इसके लिए दबाव बनाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की लेखा रपट से प्रधानमंत्री का नाम बाहर रखा जाए। उन्होंने मनमोहन सिंह के संदर्भ में यह सवाल भी उछाला कि क्या राजनीति का मकसद केवल सत्ता में बने रहने होना चाहिए? उनके अनुसार, अगर आप राजनीति में हैं और सरकार के प्रमुख बन जाते हैं तो ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज की पढ़ाई काम नहीं आती। वित्ताीय मामलों के साथ-साथ बौद्धिक और पेशेवर निष्ठा का भी महत्व होता है।
कैग प्रमुख के रूप में अपने अनुभवों पर पुस्तक लिख रहे विनोद राय ने राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन को सरकारी धन खर्च करने का अधिकार देने के मनमोहन सरकार के फैसले को भी गलत बताया और पूर्व उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल की इसके लिए आलोचना की कि उन्होंने एयर इंडिया को 28 के बजाय 68 विमान खरीदने को विवश किया। रिलायंस के मामले में भी उन्होंने प्रधानमंत्री के रवैये की आलोचना की।
राय को नोटिस भेजेंगे निरुपम
राय के दावों को झूठा करार देते हुए कांग्रेस नेता पर संजय निरुपम ने कहा कि पूर्व कैग सरासर झूठ बोल रहे हैं। मैं उनसे कभी बात नहीं की। बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि मैं उन्हें कानूनी नोटिस भेजने जा रहा हूं। राय ने आधारहीन आरोप वापस लेकर उनसे माफी नहीं मांगी तो वह उन्हें अदालत में घसीटेंगे।
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