यूपी में बिजली संकट बरकरार, सीएम ने की आपात बैठक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली संकट बरकरार है। इसको लेकर अंधाधुंध बिजली कटौती जारी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने कार्यालय में बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें मंत्री शिवपाल यादव व राजेन्द्र चौधरी के अलावा मुख्य सचिव आलोक रंजन तथा प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राकेश बहादुर भी मौजूद थे।
केंद्र के साथ ही राज्य के बिजलीघरों का उत्पादन घटने से बिजली की मांग व उपलब्धता में बड़े अंतर के कारण सूबे के गांव से लेकर महानगरों तक की बिजली आपूर्ति में अधाधुंध कटौती लगातार जारी है। इनर्जी एक्सचेंज से भी जरूरत के मुताबिक बिजली न मिलने से फिलहाल तय शेड्यूल से बिजली मिलने की उम्मीद भी नहीं है।
इसी बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज ऊर्जा विभाग के आला अफसरों के साथ बैठक की। बैठक में ऊर्जा विभाग के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। इनमें मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के साथ ही प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल, पावर कारपोरेशन के एमडी एपी मिश्रा तथा अन्य अधिकारी मौजूद थे। सभी को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुबह दस बजे अपने कार्यालय लाल बहादुर शास्त्री भवन बुलाया और इनके साथ गहन मंथन किया।
भयंकर कमी
केंद्रीय कोटे से राज्य को लगभग 1600 मेगावाट कम तकरीबन 3200 मेगावाट के आसपास ही बिजली मिल रही है। कोयले की कमी से केंद्र के सिंगरौली, रिहंद, टांडा, झज्जर आदि बिजलीघर से राज्य को 500 मेगावाट बिजली नहीं मिल रही है। इसी तरह हाइड्रो की 600 व गैस की 200 मेगावाट बिजली भी नहीं उपलब्ध हो रही है। राज्य के बिजलीघर का उत्पादन भी कल घटकर दो हजार मेगावाट से नीचे तक पहुंच गया। 500 मेगावाट की अनपरा की एक यूनिट के पहले से बंद होने के साथ ही पारीछा की 210 मेगावाट, ओबरा की 200 व 50 मेगावाट की दो यूनिट, हरदुआगंज की 250 मेगावाट की एक यूनिट से भी बिजली का उत्पादन ठप है। ऐसे में निजी क्षेत्र के बिजली घरों को मिलाकर लगभग पांच-साढ़े पाच मेगावाट तक ही बिजली रहने से दिन में कुल बिजली की उपलब्धता नौ-साढ़े नौ हजार मेगावाट के आसपास तब रही जब इनर्जी एक्सचेंज से भी एक-डेढ़ हजार मेगावाट तक 19 मिलियन यूनिट बिजली ली गई थी। मांग 12 हजार मेगावाट तक पहुंच रही है इसलिए प्रदेशवासियों को आपात बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है। आज बिजली का संकट और बढऩे की उम्मीद है क्योंकि इनर्जी एक्सचेंज से राज्य को मात्र 18 एमयू ही बिजली मिल सकी है।
पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने बताया कि एक्सचेंज से 36 एमयू बिजली लेने के लिए बिड डाली गई थी लेकिन महंगी बिजली होने से आठ करोड़ रुपये की 18 एमयू ही बिजली मिली है। मिश्र ने बताया कि बिजली की मांग में कमी नहीं आ रही है जबकि केंद्रीय कोटे से जहां पहली सितंबर को 112 एमयू बिजली मिल रही थी वहीं इस समय मात्र 87-88 एमयू ही बिजली केंद्र से मिल रही है। केंद्रीय कोटे से मिलने वाली बिजली में भारी कमी के चलते ही बिजली का संकट बना हुआ है।
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