महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर राजनाथ की मुहर
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति में हुई कैबिनेट की पहली बैठक ने मंत्रिमंडल में नंबर दो पर चल रहे कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के इस्तीफे के बाद शनिवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने की संस्तुति की थी। सोमवार को होने वाले भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) के शपथ ग्रहण समारोह में भी राजनाथ सिंह ही सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
गौरतलब है कि चार महीने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति में एक बार भी कैबिनेट की बैठक नहीं होने के कारण मंत्रीमंडल में नंबर दो की स्थिति को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे। प्रधानमंत्री की भूटान, ब्राजील, नेपाल और जापान यात्रा के दौरान कैबिनेट की बैठक बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी थी, लेकिन प्रधानमंत्री की एक हफ्ते की अमेरिकी यात्रा के बीच में आए महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट ने नंबर दो की स्थिति साफ करने का अवसर दे दिया।
दरअसल शनिवार की सुबह राजनाथ सिंह आध्यात्मिक गुरु मां अमृतानंदमयी के जन्मदिन के उत्सव में शामिल होने केरल गए थे। उस समय तक कैबिनेट की बैठक बुलाने का कोई प्रस्ताव नहीं था, लेकिन वहां से लौटने के दौरान रास्ते में ही महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव द्वारा पृथ्वीराज का इस्तीफा स्वीकार करने और राज्य के राजनीतिक हालात पर केंद्र को रिपोर्ट भेजने की सूचना मिली। दिल्ली आते ही राजनाथ सिंह ने राजनीतिक हालात पर विचार करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाने का निर्णय लिया।
वैसे तो सरकार के भीतर नंबर दो को लेकर कभी असमंजस की स्थिति नहीं रही। ब्राजील यात्रा के दौरान भी पीएमओ की ओर से प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में अहम फैसले की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को दिए जाने का निर्देश विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, वित्त व रक्षा मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू को भेजा गया था। जापान जाने से पहले भी यह स्पष्ट किया गया था कि पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के लिए प्रधानमंत्री के रवाना होने पर भी 25 सितंबर से एक अक्टूबर तक उसी परंपरा के अनुसार राजनाथ पर मोदी ने भरोसा जताया है। इसके बावजूद मंत्रिमंडल की बैठक नहीं होने के कारण सरकार के बाहर अटकलों को बल मिल रहा था।
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