राहुल गांधी को चुनावी आंच से बचाने की तैयारी
नई दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बचाने की चुनौती से जूझ रही कांग्रेस को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी ज्यादा समय नहीं देंगे। विधानसभा चुनाव प्रचार में राहुल की भूमिका पर कांग्रेस उलझन में है। लोकसभा चुनावों में मिली हार और इसके लिए राहुल समेत उनकी टीम पर आए आरोपों के बाद इस बार ‘टीम राहुल’ भी पार्टी उपाध्यक्ष की ‘स्टार प्रचारक’ वाली भूमिका को लेकर उत्साहित नहीं है।
राहुल के खाते में बढ़ती नाकामियों के बीच कांग्रेस में उपाध्यक्ष को ‘चुनावी आंच’ से बचाने की तैयारी होने लगी है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल इन राज्यों में चार दिन देंगे। यही नहीं जीत की संभावना वाली सीटों पर ही प्रचार करेंगे। पार्टी के आंतरिक सर्वे में इन सीटों की पहचान की जा चुकी है। लोस चुनावों के बाद उपचुनावों में संजीवनी मिलने के बाद कांग्रेस फिर चुनावी जंग में है। पार्टी के सामने हरियाणा व महाराष्ट्र में सत्ता बचाने की चुनौती है।
लोस चुनावों में हार व अपने प्रयोगों के कारण निशाने पर आए राहुल गांधी के लिए यह चुनाव साख बचाने का अवसर हो सकता है, लेकिन विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस संगठन में होने वाले बदलाव,पार्टी में बढ़ते असंतोष के बीच कांग्रेस ने राहुल के चुनावी अभियान को सीमित व सांकेतिक रखने का फैसला किया है। पार्टी को आशंका है कि विधानसभा चुनावों में राहुल को झोंकने व अपेक्षाकृत परिणाम न मिलने पर पार्टी में असंतोष गहरा सकता है।
वैसे भी हरियाणा में दस व महाराष्ट्र में 15 वर्षो से सत्ता पर काबिज पार्टी के लिए फिर से चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है। दरअसल, लोकसभा चुनावों में मिली पराजय व खुद पर सवाल उठने के बाद राहुल पार्टी को संगठन के आधार पर खड़ा करने की लंबी योजना पर काम कर रहे हैं। उधर, देश में लगातार होने वाले चुनावों और इसके परिणामों को लेकर टीम राहुल बेहद चिंतित है। टीम का मानना है कि पक्ष में परिणाम न आने के बाद नेता होने के नाते राहुल पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है।
इस वजह से विधानसभा चुनावों से ‘टीम राहुल’ भी दूरी बना कर चल रही है। वहीं राहुल के बच के राजनीति करने की शैली को लेकर आक्रमण और तीखे होते जा रहे हैं। उनके करीबी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह ने तो राहुल को राजनीतिक शैली बदलने व उन्हें संजय गांधी जैसा बनने की सलाह दे डाली है।
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