ओटवा द्वारा रिफयूजी हैल्थ कट संबंधित अदालती फैसले के खिलाफ अपील दाखिल

कैनेडा की फैडरल सरकार ने फैडरल कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है जिस में अदालत ने फैडरल सरकार द्वारा रिफयूजियों की स्वास्थ सेवाअेां में की गई कटौतियां नाजायज करार दी थी।
इमिग्रशन मंत्री क्रिस अलिगजैंडर ने जज एन मक्टैविश के उस फैसले पर स्टे के लिए अपील दायर की है जिस में अदालत ने कहा था कि रिफयूजियों को तब तक स्वास्थ सेवाएं मिलती रहेंगी जब तक उनके केसों का फैसला नहीं हो जाता।
सरकार ने अपनी अपील में 13 प्रावधानों को आधार बनाया है। इस में कहा गया है कि जज ने फैसला सुनाते समय बहुत सी गलतियां की हैं। अपील में यह भी कहा गया है कि जज ने सबूतों से अलग तरह की विचार व्यक्त करके फैसला सुनाया है।
वकील जिस ने यह केस जीता है का कहना है कि सरकार ने अपील दायर करने में बहुत समय गंवाया है और उसकी टीम को अब उन्होंने रिफयूजियों के ईलाज के लिए जूझना पड़ेगा, जिनके स्वास्थ को जबरदस्त इलाज की जरूरत है। वकील लौरन वाल्डमैन ने बताय कि अगर इस फैसले एवं सरकार को स्टे मिल जाती है तो स्वास्थ सेवाएं लेने में देरी लगेगी और हजारों व्यक्तियों को सेवाएं नहीं मिलेंगी और इनको दोबारा यह सेवाएं मिलने से इंकार हो जाएगा। जज ने साफ कहा है कि किसी को स्वास्थ सेवाएं देने से इंकार करने का मतलब है इंसानी जिंदगी को खतरे में डालना।
वाल्डमैन का कहना है कि यह अपील के मामले में जल्द समाधान करने की कोशिश करेंगे। वाल्डमैन ने कहा कि हम इस अपील के खिलाफ डट कर लडेंगे और इसको तेज रफतार से खत्म करने के लिए काम करेंगे ताकि इन मुद्दों का जल्द समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि अगर हमारी उम्मीद के अनुसार अदालत का यह फैसला ज्यूँ का त्यूँ रहता है तो रिफयूजियों को स्वास्थ सेवाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी और उनकी जिंदगी खतरे में नहीं रहेगी।
सरकार के अपील के फैसले पर तीन पक्षों ने नाराजगी व्यक्त की है। इनमें कैनेडियन डॉक्टर्स फार रिफयूजी केयर, कैनेडियन एसोसिएशन फार रिफयूजी लॉयर्स एवं जस्टिस फार चिल्डर्न एंड यूथ शामिल हैं।
ओटवा ने वर्ष 2012 में नई आइयों की स्वास्थ सेवाओं के कटौती की गई थी। इनके लिए सिर्फ जरूरी प्राथमिक सेवाएं ही रखी गई थी। इनको दांतों एवं आंखों के ईलाज के वंचित कर दिया गया था।
वाल्डमैन ने बताया कि सरकार ने चुप चाप ही 22 सितंबर को इस फैसले के खिलाफ अपील कर दी और यहां तक विपक्ष पार्टी को कोई नोटिस भी नहीं भेजा। उन्होंने बताया कि सिर्फ उनके कार्यलय को भी अपील फाईल करने से एक सप्ताह बाद नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि इस पर फैसला करने में जिनती देर लगेगी उतना लंबा समय ही लोगों के स्वास्थ को रिस्क पर रखा जाएगा।

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