फड़नवीस संभालेंगे महाराष्ट्र की कमान
मुंबई, महाराष्ट्र की नई सरकार के मुखिया देवेंद्र फड़नवीस होंगे। सूबे में पहली बार बनने जा रही भाजपा सरकार में शिवसेना की फिलहाल कोई हिस्सेदारी नहीं होगी। 44 वर्षीय देवेंद्र को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा महासचिव व पार्टी के प्रदेश प्रभारी जेपी नड्डा की मौजूदगी में मंगलवार शाम पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद फड़नवीस ने राज्यपाल सी.विद्यासागर राव से भेंट कर सबसे बड़े दल के नेता के रूप में सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने उन्हें 15 दिन में बहुमत साबित करने को कहा है। फड़नवीस अपनी टीम के चंद मंत्रियों के साथ शुक्रवार शाम चार बजे मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में राज्य के 27वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कई दलों के नेता समारोह में शामिल होंगे। कार्यक्रम में शिवसेना नेताओं के शामिल होने की सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
नागपुर से चौथी बार विधायक चुने गए भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस के नाम का प्रस्ताव वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने किया। पंकजा मुंडे, विनोद तावड़े एवं सुधीर मुनगंटीवार ने प्रस्ताव का समर्थन किया। ये सभी नेता भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद फड़नवीस ने पार्टी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को देते हुए कहा, कई लोग सीएम पद की जिम्मेदारी संभालने योग्य हैं। इसके बावजूद मुझे चुना गया है। इसके लिए विधायकों का आभारी हूं। फड़नवीस राज्य के दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री होंगे। इससे पूर्व शिवसेना नेता मनोहर जोशी को यह रुतबा हासिल हो चुका है। ज्ञात हो, ईमानदार और तेजतर्रार छवि के बावजूद प्रशासनिक अनुभव की कमी फड़नवीस के मुख्यमंत्री बनने में आड़े आ रही थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने जातिगत गणित एवं प्रशासनिक अनुभव की कमी को नजरंदाज करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय किया।
बमुश्किल माने खडसे :
वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे भी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। पिछले एक हफ्ते से उनके समर्थक पार्टी कार्यकर्ता खुलकर लामबंद हो रहे थे। वरिष्ठ नेताओं ने खडसे को मनाने का प्रयास शुरु किया। विधायक दल की बैठक शुरू होने के कुछ देर पहले तक उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया जाता रहा।
अभी मन नहीं मिला शिवसेना से :
चुनाव में भाजपा पर तीखे कटाक्ष करने वाली शिवसेना अब नरम रुख के साथ सरकार में शामिल होना चाहती है, लेकिन भाजपा उसे हिस्सेदार बनाने पर फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहती। इसलिए शुक्रवार को मुख्यमंत्री के साथ सिर्फ भाजपाई मंत्रियों के ही शपथ लेने की संभावना है।
विधानसभा में बहुमत का गणित :
288 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 145 सदस्यों की दरकार है। उसके 123 विधायक चुनकर आए थे। एक विधायक का निधन के कारण विधायकों की संख्या 122 रह गई है। छोटे दलों एवं निर्दलियों को मिलाकर उसे 135 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए 10 अन्य विधायकों के समर्थन को लेकर पार्टी इसलिए निश्चिंत है, क्योंकि 41 सदस्यों वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सदन में मतदान के समय तटस्थ या गैरहाजिर रहने का आश्वासन दे चुकी है।
शिवसेना के बदले सुर :
कभी प्रधानमंत्री मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर तीखे हमले करने वाली शिवसेना इन दिनों मोदी की तारीफों के पुल बांधती दिख रही है। शिवसेना मुखपत्र सामना में सोमवार को भाजपा की जीत का श्रेय मोदी एवं शाह को दिया गया था। साथ ही यह भी लिखा गया था कि वह सारे मतभेदों को भुलाकर भाजपा के किसी भी मुख्यमंत्री के साथ काम करने को तैयार है। आज के संपादकीय में दिल्ली में दिवाली मिलन की परंपरा शुरू करने के लिए पीएम की तारीफ में कसीदे काढ़े गए हैं।
कोट:
‘मेरा ध्येय ऐसा पारदर्शी शासन मुहैया कराना होगा,जिससे लोगों को महसूस हो कि यह उनकी अपनी सरकार है। नई सरकार शिवाजी महाराज के पदचिन्हों और बाबा साहब के दिए संविधान पर चलेगी।’ -देवेंद्र फड़नवीस
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