कांग्रेस संगठन चुनाव में नहीं चलेंगे राहुल के प्रयोग
नई दिल्ली, चुनावी मैदान में एक के बाद एक जंग हारने के बाद कांग्रेस को अब संगठन की सुध आई है। साल के अंत तक चलने वाले पार्टी के सदस्यता अभियान को गति देने के लिए केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों के साथ पार्टी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों व प्रभारी महासचिवों की बैठक पार्टी मुख्यालय पर हुई।
भाजपा के हाईटेक सदस्यता अभियान को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने सदस्यता अभियान में कुछ बदलाव किए हैं। हालांकि, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रयोगों को इनमें जगह नहीं मिल सकी है। परंपरागत राजनीति के रास्ते पर बढ़ते हुए राहुल के प्रयोगों को संगठन चुनाव में जगह नहीं दी गई है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि आम सहमति भी एक तरह का चुनाव है। जहां यह नहीं बन पाएगी वहां गुप्त मतदान के जरिये चुनाव होगा।
पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन से पांच साल किए जाने के बाद पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और यह अगले साल जुलाई के अंतिम सप्ताह तक पूरी कर ली जाएगी।
चुनावी हारों और नेतृत्व की ओर उठते सवालों के बीच संगठन चुनावों को लेकर कांग्रेस की तीसरी बैठक में बात चुनाव और संगठन तक सीमित रही। जब प्रदेश अध्यक्षों ने चुनावी अनुभवों और जमीनी दिक्कतों के बारे में बात शुरू की तो राहुल ने उन्हें बीच में ही रोक कर अपनी बात शुरू कर दी। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली पराजय से आगे बढ़ते हुए संगठनात्मक चुनावों का इस्तेमाल पार्टी संगठन में नई ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि पहले कांग्रेस में सामान्य और सक्रिय दो प्रकार की सदस्यता होती थी। इसी प्रकार इन सदस्यों को संगठन में पद पाने के लिए न सिर्फ दो-तीन वर्ष तक संगठन का काम करना होगा, बल्कि पच्चीस सदस्य भी बनाने होंगे। इसके अलावा हर सदस्य को केंद्रीय इकाई द्वारा विशिष्ट पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। इन पहचान पत्रों से पार्टी की मंशा बोगस सदस्यों का प्रवेश रोकने की है। कांग्रेस पार्टी के पास वर्तमान में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।
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