आयरन लेडी रोसेफ को फिर ब्राजील की कमान
ब्राजीलिया। वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाली समाजवादी आयरन लेडी डिल्मा रोसेफ कड़े मुकाबले में फिर से ब्राजील की राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं। पहले दौर में किसी को बहुमत नहीं मिलने पर रविवार को दूसरे दौर का मतदान कराया गया था। डिल्मा ने अपने प्रतिद्वंद्वी एसियो नेविस को हराया। डिल्मा को 51.4 फीसद और नेविस को 48.5 फीसद वोट मिले।
वर्कर्स पार्टी के लिए पिछले करीब दो दशक में यह राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे कड़ा मुकाबला रहा। आर्थिक सुस्ती ने व्यवसाय समर्थक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को एक बड़ा मौका दिया था लेकिन अंतत: वर्कर्स पार्टी की जीत हुई। चुनाव जीतने के बाद रोसेफ ने राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया। ब्राजीलिया में विजयी संबोधन में उन्होंने कहा, मैं देश के भविष्य के लिए ब्राजील के लोगों से एकजुट होने की अपील करती हूं। मुझे नहीं लगता कि चुनाव ने देश को विभाजित किया है।’
गुरिल्ला लड़ाके से राष्ट्रपति बनने का सफर
* बेलो होरीजोंटे के एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में 1947 में जन्म। उनके पिता पेड्रो रोसेफ बुल्गारिया के अप्रवासी और पुराने कम्युनिस्ट थे।
* रोसेफ नर्तकी बनना चाहती थीं। मगर 1964 में सत्ता पर सेना ने कब्जा किया। इसके साथ ही वह गुरिल्ला लड़ाकों से जुड़ गई।
* 1970 में पकड़ी गई। तीन साल की सजा हुई। क्रूर यातनाएं झेलीं।
* पूर्व लोकप्रिय राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा के चीफ ऑफ स्टाफ जोजे जियर्से को 2005 में सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में इस्तीफा देना पड़ा। साफ-सुथरी छवि वाली रोसेफ ने पद संभाला।
* लूला का कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीतकर 2011 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं।
* उनकी सामाजिक कल्याण नीतियों ने लाखों गरीबों का जीवन स्तर बेहतर किया।
* तुनुक मिजाज स्वभाव और कड़े व्यवहार के कारण उनकी छवि आयरन लेडी की है। वह अपने मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाती हैं।
* 2009 में उन्हें कैंसर से भी जूझना पड़ा। मगर आयरन लेडी इस बीमारी से भी जीत गई।
* फुटबॉल विश्व कप आयोजन पर बेहिसाब खर्च को लेकर आलोचना एवं विरोध प्रदर्शन झेले। मगर सफलतापूर्वक विश्व कप कराया।
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