ई-रिक्शों का रास्ता साफ करने को बिल संसद में पेश
नई दिल्ली। ई-रिक्शा व ई-कॉर्ट के संचालन को वैधता प्रदान करने तथा इन्हें चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस नियमों में ढील के लिए सरकार ने बुधवार को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन का विधेयक लोकसभा में पेश किया। मोटर वाहन अधिनियम संशोधन, 2014 नाम से प्रस्तुत विधेयक को सदन में व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है। हालांकि कुछ सदस्यों का कहना कि सरकार ने दिल्ली में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस सत्र में विधेयक पेश किया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि ई-रिक्शा गरीबों के रोजगार का साधन है। दो लाख लोगों की आजीविका इन पर निर्भर है। चूंकि मौजूदा मोटर वाहन कानून के तहत ई-रिक्शा को अनुमति नहीं है लिहाजा विधेयक के जल्द पारित होने से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। बहरहाल, विधेयक को भाजपा व उसके सहयोगी दलों की ही नहीं, बल्कि अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और टीआरएस के सदस्यों का भी समर्थन मिला।
हालांकि उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए। कांग्रेस के राजीव शंकर सातव का कहना था कि अगर सरकार को वाकई में गरीबों की चिंता थी तो उसे यह बिल पिछले सत्र में ही लाना चाहिए था। लगता है मंत्री जी दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लेना चाहते हैं। उन्होंने बिल को स्थायी समिति के हवाले किए जाने की मांग की।
ई-रिक्शा के लिए कानून में संशोधन का फैसला इसके संचालन पर दिल्ली हाई कोर्ट की रोक तथा एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) से कराए गए अध्ययन के बाद लिया गया है। जहां हाई कोर्ट ने उचित कानूनी प्रावधानों के बाद ही ई-रिक्शा को अनुमति देने की बात कही थी वहीं टेरी ने अध्ययन में पाया कि दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले प्रायः सभी ई-रिक्शा 250 वाट या 25 सीसी से अधिक क्षमता के हैं। जबकि इनमें से कई की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है।
लिहाजा ई-रिक्शा मोटर वाहन की श्रेणी में आते हैं। टेरी ने उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी (सूडा) की उस सिफारिश का भी जिक्र किया जिसमें ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन आफ इंडिया (एआरएआइ) से कहा गया था कि गरीबों के हितों में ई-रिक्शा को बढ़ावा देना वक्त की मांग है।
विधेयक में क्या
विधेयक में ई-रिक्शा तथा ई-कॉर्ट की परिभाषा तय करने के अलावा इनका ड्राइविंग लाइसेंस लेने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए मौजूदा मोटर वाहन एक्ट, 1988 की धारा 7 (1) में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। बिल पास होने पर ई-रिक्शा गैर-कानूनी नहीं रहेंगे और कोई भी व्यक्ति ई-रिक्शा मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की 10 दिन की ट्रेनिंग लेकर इसका ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकेगा।
सरकार केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 में 8 अक्टूबर, 2014 के विधाई आदेश व अधिसूचना से संशोधन कर चुकी है। इनमें ई-रिक्शा और ई-कॉर्ट के मानक तय किए गए हैं। इनके अनुसार ई-रिक्शा में ड्राइवर के अलावा चार सवारी और 40 किलो सामान, जबकि ई-कॉर्ट में 310 किलो सामान लादा जा सकता है। इसके मोटर की क्षमता 2000 वाट तथा गति 25 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें 10 दिन की ट्रेनिंग पाने वाले ड्राइवरों के लिए आठवीं पास की शर्त से छूट के लिए नियम-8 को बदलने का प्रस्ताव है।
Comments are closed.