असम हिंसा के विरोध में हजारों सड़क पर

गुवाहाटी/नई दिल्ली। असम के सोनितपुर और कोकराझार में बोडो उग्रवादियों के हमले में मरने वालों की संख्या 65 हो गई। केन्द्र सरकार ने उग्रवादियों से निपटने के लिए 5 हजार जवान अतिरिक्त रूप से वहां भेजे हैं। नरसंहार के विरोध में ग्रामीणों ने बोडो आदिवासियों के कई घर फूंक दिए।

हजारों चाय बागान श्रमिकों ने विरोधी मार्च निकाला और एनएच-15 जाम कर दिया। सोनितपुर के चार क्षेत्रों में ऐहतियाती कर्फ्यू लगाया गया है। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बताया कि मंगलवार रात बर्बर हमले के शिकार महिलाएं व बच्चे ज्यादा हुए हैं।

स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हम उग्रवादियों से कड़ाई से निपटेंगे। उनकी धरपकड़ के लिए बड़ा अभियान छेड़ा जाएगा। गोगोई ने राज्य के मंत्री नीलमणि सेन डेका व बसंत दास को कोकराझार और राकुबिल हुसैन, टेंका बहादूर राय व पृथ्बी मांझी को सोनितपुर भेजा है।

आईजी कानून-व्यवस्था एस.एन.सिंह ने बताया कि सर्वाधिक 40 मौतें सोनितपुर में हुई जबकि कोकराझार में 25 लोग मारे गए। मृतकों में 10 महिलाएं व 13 बच्चे हैं। मंगलवार शाम हथियारों से लैस नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (संगबिजित गुट) के उग्रवादियों ने आदिवासियों के चार गांवों में अंधाधुंध गोलीबारी कर कहर बरपाया था।

सुरक्षाबलों ने हमलावरों की धरपकड़ के लिए अभियान छेड़ा है। सेना की वर्दी में आए थेग्रामीणों ने बताया कि उग्रवादी हथियारों से लैस होकर पैदल आए थे। उन्होंने सेना की वर्दी पहन रखी थी।

गांव में पहुंचकर उन्होंने पीने का पानी मांगा और फिर एके-47 राइफल से अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दी। इस प्रत्यक्षदर्शी ने जंगल में छिपकर जान बचाई।

हथियार व धनुष-बाण लेकर निकले आदिवासी

नरसंहार के विरोध में आदिवासियों ने सोनितपुर जिले के फुलगौरी क्षेत्र में बोडो जनजाति के लोगों के कई घरों में आग लगा दी। विरोध मार्च भी निकाले गए, जिनमें चाय बागानों के हजारों श्रमिक शरीक हुए। उनके हाथों में हथियार और धनुष बाण थे।

मार्च के कारण जिले के धैकियाजौली में नेशनल हाइवे क्र.15 के सात किमी लंबे हिस्से में जाम लग गया। मंत्रिमंडल ने दी श्रद्घांजलिदिल्ली में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में असम हमले में मृत लोगों को श्रद्घांजलि दी गई। मंत्रिमंडल ने हमले को कायराना कृत्य करार दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घटना की निंदा की और मृतकों के आश्रितों के प्रति संवेदना जताई। क्या है मामलाबोडो उग्रवादी पृथक राज्य की मांग को लेकर लंबे समय से छापामार हमले कर रहे हैं। सुरक्षा बलों द्वारा पिछले माह उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से वे बौखला गए हैं।

एनडीएफबी का कहना है कि वे असम की मूल बोडो जनजाति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राज्य के चाय बागानों से बाहरी श्रमिकों को निशाना बनाकर उन्हें वहां से बेदखल करना चाहते हैं।

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