सोनिया गांधी को केंद्रीय सूचना आयोग का नोटिस
नई दिल्ली। सियासी दलों को सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के दायरे में लाने के मामले में सीआइसी किसी भी किस्म की ढिलाई नहीं बरतना चाहता है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फिर नोटिस जारी कर पूछा है कि उनकी पार्टी आरटीआइ कानून के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं कर रही है? आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब क्यों नहीं दे रही है? सीआइसी ने पिछले वर्ष दाखिल एक आरटीआइ आवेदन का जवाब नहीं देने के मामले में कांग्रेस प्रमुख से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है।
जैन की शिकायत पर हुई कार्रवाई
दरअसल आरटीआइ कार्यकर्ता आरके जैन ने पिछले वर्ष फरवरी में आरटीआइ आवेदन दाखिल कर कांग्रेस से कुछ जानकारी मांगी थी, लेकिन पार्टी की ओर से उसका कोई जवाब नहीं मिला। इस पर उन्होंने सीआइसी से इसकी शिकायत की। परंतु वहां से भी माकूल कार्रवाई नहीं होने पर वह दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए। उनकी अर्जी का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने सीआइसी को छह महीने में जैन की शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस पर केंद्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस से जैन की शिकायत के हर मुद्दे पर विस्तार से चार हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा था। साथ ही उसकी प्रति आयोग और शिकायतकर्ता जैन को भी मुहैया कराने का निर्देश दिया था। लेकिन कांग्रेस की ओर से इस निर्देश का अनुपालन नहीं होने पर सीआइसी ने फिर नोटिस जारी किया है।
अमित शाह को भी जारी हुई है नोटिस
एक अन्य आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की अलग से दाखिल शिकायत पर भी केंद्रीय सूचना आयोग ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत भाकपा, माकपा, राकांपा और बसपा के प्रमुखों को नोटिस जारी किया है। जानकारी नहीं देना या आधी-अधूरी सूचना मुहैया कराना आरटीआइ कानून के तहत अपराध है। इसमें सूचना देने के लिए निर्धारित तिथि से लेकर जिस दिन तक जानकारी उपलब्ध नहीं करा दी जाए, सार्वजनिक प्रतिष्ठान के सूचना अधिकारी पर रोजाना ढाई से रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
ध्यान रहे कि सीआइसी की पूर्ण पीठ ने यह व्यवस्था दी है कि कांग्रेस, भाजपा, भाकपा, माकपा, राकांपा और बसपा सार्वजनिक प्रतिष्ठान हैं, लिहाजा ये दल आरटीआइ के तहत जानकारी देने के लिए बाध्य हैं। लेकिन इनमें से किसी भी दल ने इस निर्देश का पालन करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की और नहीं इसे किसी उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
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