भारत-अमेरिका के रिश्तों को नाभिकीय ऊर्जा

नई दिल्ली। संप्रग सरकार के समय में लिए गए फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुकाम तक पहुंचा दिया। भारत व अमेरिका के रिश्तों को नाभिकीय ऊर्जा का ईंधन दिलाने में मोदी कामयाब रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मोदी की आपसी केमिस्ट्री ने छह साल से चले आ रहे गतिरोध को खत्म कर आगे की राह प्रशस्त कर दी। एक कदम आगे बढक़र वार्ता को सफल बनाने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि ओबामा ने विशेष अधिकार का प्रयोग कर गतिरोध को खत्म करने की कोशिश की। भारत में परमाणु ट्रैकिंग पर अमेरिका झुका व ट्रैकिंग की पुरानी मांग वापस ले ली। इसके बदले मोदी ने भी जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन पर पारंपरिक रुख से थोड़ी नरमी दिखाते हुए भरोसा दिया कि भावी पीढ़ी की खातिर हर किसी को सतर्क होना ही पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट करने में भी देरी नहीं की कि इसे दबाव न माना जाए। संबंधों की गरमी दूसरे मुद्दों पर भी दिखी। व्यापारिक रिश्तों पर और आगे बढऩे की मंशा दिखाने के साथ ही आपसी संवाद के लिए हॉटलाइन स्थापित करने का भी निर्णय हुआ। रक्षा व सामरिक मुद्दों पर आपसी सहयोग के साथ-साथ अमेरिका इंटरनेशनल एक्सपोर्ट कंट्रोल रिजिम में भारत की सदस्यता के प्रयास करेगा। दोनों पक्ष आगे बढ़े चार महीने के अंदर मोदी-ओबामा की दूसरी मुलाकात और एक-दूसरे को समझने की कोशिश ने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों का नया दौर शुरू कर दिया है। दो मुद्दों पर मुख्य रूप से गतिरोध था। भारतीय नाभिकीय रिएक्टरों पर अमेरिकी निगरानी को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। वहीं, अमेरिका जवाबदेही के प्रावधान पर राजी नहीं था। दोनों ही पक्षों ने व्यावहारिक रुख दिखाते हुए इस गतिरोध को खत्म कर दिया है। अमेरिका ने निगरानी (ट्रैकिंग) प्रावधान की बाध्यता वापस ली तो भारत ने भी जवाबदेही प्रावधान पर उन्हें राहत देकर यह जिम्मा खुद पर ले लिया है। रोडमैप बनाने पर सहमत नाभिकीय ऊर्जा पर गतिरोध खत्म हो गया और आगे का रोडमैप तैयार करने पर दोनों देश सहमत हो गए हैं। आकलन के मुताबिक अगले कुछ वर्षों में भारत में तीन हजार करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हो सकता है। इससे सस्ती बिजली की राह बनेगी। किसी दुर्घटना से निपटने के लिए 1500 करोड़ का इंश्योरेंस पूल होगा। भारत के इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने सहमति जता दी है। हालांकि, इस पूल में अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा। भारत की ही चार कंपनियां 750 करोड़ जमा करेंगी और बाकी का हिस्सा भारत सरकार देगी। भारत को मिलेगी तकनीक ओबामा ने मोदी को यह भी विश्वास दिलाया है कि वह परमाणु और मिसाइल संबंधी तकनीक रखने वाले ग्रुप में भारत की सदस्यता का प्रयास करेंगे। जाहिर तौर पर भारत को इन देशों से तकनीक भी मिलेगी। कुछ मुद्दों पर अभी पूरी स्पष्टता नहीं आ पाई है लेकिन यह तय हो गया है कि लंबे समय से अटके परमाणु करार पर अब काम आगे बढ़ेगा और परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का काम शुरू हो सकेगा। कार्बन उत्सर्जन पर नरमी के संकेत दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच चली दो घंटे की बैैठक के बाद मोदी और ओबामा के बीच लगभग 15 मिनट तक व्यक्तिगत चर्चा भी हुई। संयुक्त बयान में ओबामा ने व्यापारिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के प्रति आगाह किया। मोदी ने खुलकर तो कार्बन उत्सर्जन घटाने जैसे मुद्दे पर कोई आश्वासन नहीं दिया है, लेकिन पेरिस सम्मेलन तक कुछ और बदलाव का संकेत देकर थोड़ी नरमी जरूर दिखा दी है।

 

You might also like

Comments are closed.