फिर दलित ही होगा बिहार का मुख्यमंत्री: मांझी

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। मांझी ने इस बार आरक्षण पर नया बयान देकर अपने विरोधियों को बोलने का मौका दे दिया है। पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि अगर सही शिक्षा दी जाए, तो दलितों को आरक्षण की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही मांझी ने यह भी कहा कि अगर बिहार में दलित सचेत रहें, तो अगला मुख्यमंत्री भी दलित समाज से ही होगा।
साथ ही जीतन राम मांझी ने अपनी सरकार के सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब महादलित और दलित का भेद जल्द ही समाप्त किया जाएगा और अनुसूचित जाति में शामिल सभी 23 जातियों में शिक्षा और साक्षरता के अनुपात में सरकारी सुविधा और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री बुधवार को राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित ‘पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी (पैक्स) और मुसहर विकास मंच के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राज्य स्तरीय मुसहर चेतना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यदि अनुसूचित जातियों के बच्चों को समान शिक्षा व्यवस्था से जोड़ दिया जाए तो हमें आरक्षण की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार के स्तर से मिलने वाला यह आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है। एक न दिन तो इसे समाप्त करना ही होगा।
उन्होंने मुसहर जाति के लोगों का आह्वान किया कि वे न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध होने का प्रयास करें, बल्कि राजनीतिक रूप से भी खुद को मजबूत करें, ताकि सत्ता में आकर वे अपने विकास के लिए खुद योजनाएं बना सकें। साथ ही अपना वोट केवल उसी को दें जो उनके विकास के प्रति गंभीर है।
मुख्यमंत्री ने मुसहर व भुइयां जाति की जनसंख्या को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि जब वर्ष 1931 की जनगणना हुई थी तब राज्य में मुसहरों की आबादी नौ लाख और भुइयां की आबादी पांच लाख बताई गई थी। आज हमारी जनसंख्या महज 31 लाख बताई जाती है। यह सही नहीं है, क्योंकि मुसहर व भुइयां जाति के लोगों की जनगणना में भी गड़बड़ी की जाती है।
उन्होंने कहा कि आज राज्य में मुसहर व भुइयां की आबादी करीब 56 लाख है, लेकिन इनमें अधिकतर लोगों के नाम वोटर लिस्ट में भी शामिल नहीं हैं। उन्होंने मुसहर व भुइयां जाति को जागरूक बनने की सलाह देते हुए कहा कि अगर आप मिलकर वोट करेंगे तो आपकी समस्याओं से कोई भी मुंह मोड़ नहीं सकता। साथ ही यह भी कहा कि दारू के पाउच पर वोट देने की लत छोडें। अगर ऐसा नहीं किया तो इस समाज का कभी भी उत्थान नहीं हो सकता।

 

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