परमाणु करार का संसद में विरोध करेगी कांग्रेस
नई दिल्ली। परमाणु करार पर पार्टी का उहापोह खत्म कर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी को जंग के मैदान में उतार दिया है। राहुल ने करार के मसौदे से देश और जनता पर बोझ पड़ने की बात कहते हुए इसे गरीब विरोधी बताया है। राहुल ने बुधवार को यहां एक रैली में भाजपा पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप भी जड़ा।
परमाणु समझौते को लेकर राहुल के रुख को कांग्रेस की बजट सत्र की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे पहले करार के विरोध को लेकर पार्टी में दो राय सामने आ रही थीं। संप्रग-एक की बड़ी कामयाबी के रूप में देखे जाने वाले परमाणु करार के विरोध को लेकर पार्टी का एक तबका संशय में था। यह तबका इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करना चाह रहा था।
पार्टी प्रवक्ताओं के करार विरोधी बयानों के बीच यह कहकर गुंजाइश रखी जा रही थी कि अभी इस मामले पर सरकार के पक्ष से मिलने वाली जानकारी का इंतजार है। कांग्रेस ने यह भी कहा था कि वह परमाणु करार का विरोध नहीं कर रही क्योंकि भारत-अमेरिका परमाणु करार का पूरा मसौदा संप्रग सरकार ने ही तैयार किया था और इसे परिणति तक पहुंचाने में पार्टी की बड़ी भूमिका रही है। गौरतलब है कि अमेरिका से परमाणु करार के मुद्दे पर सरकार को दांव पर लगा देने के बाद भी तब भाजपा के विरोध के कारण कांग्रेसनीत संप्रग सरकार इस समझौते को परिणति तक पहुंचाने में नाकाम रही थी।
राहुल के बयान के बाद करार को अपनी उपलब्धि के रूप में देख रहा पार्टी का एक तबका हतप्रभ है। जबकि, मनमोहन सरकार के कई निर्णयों से इत्तफाक न रखने वाला पार्टी का दूसरा गुट इसे बदलाव के रूप में देख रहा है। इससे पहले भी राहुल ने जन प्रतिनिधित्व कानून को लेकर तत्कालीन मनमोहन सरकार की फजीहत कराई थी। तब राहुल ने संप्रग सरकार के अध्यादेश को फाड़ने की बात कह सरकार को यू-टर्न लेने के लिए मजबूर कर दिया था।
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