संघ ने किरण बेदी पर फोड़ा हार का ठीकरा, भाजपा को किया कठघरे में खड़ा
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद भाजपा व इसके मातृ संगठन में मंथन का सिलसिला शुरू हो गया है। कई पार्टी नेताओं ने भाजपा की इस हार के लिए किरण बेदी को जिम्मेदार माना था और अब पार्टी के मातृ संगठन आरएसएस ने भी इस पर मुहर लगा दी है।
संघ ने अपने मुखपत्र पांचजन्य के ताजा अंक में दिल्ली चुनाव में भाजपा की हार के लिए किरण बेदी को जिम्मेदार ठहराया है। संघ ने मुखपत्र के ताजा अंक में हार के कारणों का विश्लेषण में किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने को भाजपा की बड़ी भूल बताया है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी को भी हार की एक बड़ी वजह माना है।
‘आकांक्षाओं की उड़ान’ शीर्षक से प्रकाशित कवर स्टोरी में संघ ने सवाल किया है, ‘भाजपा क्यों हारी? क्या बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाना सही था? यदि हर्षवर्द्धन या दिल्ली भाजपा के दूसरे नेताओं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया होता तो परिणाम दूसरे होते?’
लेख में सवाल उठाए गए हैं कि क्या भाजपा नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचाने में नाकाम रही? क्या पार्टी पूरी तरह मोदी लहर पर निर्भर थी? क्या पार्टी संगठन में एकता, योजना और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान न होने की वजहों से हारी?
लेख में सवाल उठाया गया है, ‘भाजपा नेताओं को इस बात का जवाब खोजना होगा कि उनके पास संघ की विचारधारा और पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता के अलावा और क्या पूंजी है?’
गौरतलब है कि इससे पहले भाजपा की सीएम पद की उम्मीदवार किरण बेदी ने ब्लॉग में अपनी हार स्वीकार करते हुए राजनीतिक दलों के लोकलुभावन वादों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने ‘मुफ्तखोरी’ की आदत को समाज के लिए गलत बताया था। बेदी ने कहा कि वह चुनावों में पूरी ऊर्जा और अनुभव झोंकने के बावजूद हार गईं। हालांकि भाजपा ने अब तक अपनी हार के कारणों को खुलकर स्वीकार नहीं किया है।
आप के ‘मुफ्त एजेंडे’ को संघ ने बताया विकास विरोधी
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की सरकार पर ‘मुफ्त एजेंडे’ की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुएने कहा है कि इससे देश का विकास दर प्रभावित हो सकता है।
संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ के नए अंक में प्रकाशित संपादकीय में दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों को ‘आश्चर्यजनक’ बताया गया है। हालांकि, इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप की जीत को संघ ने ‘खौफनाक’ करार दिया है।
संपादकीय के अनुसार, डर अब इस बात का है कि केजरीवाल ‘मुफ्त एजेंडे’ को आगे बढ़ाएंगे और टकराव की राजनीति करेंगे। इसके बाद दूसरे दल भी इसी रास्ते पर चल निकलेंगे। गैर भाजपावाद के आधार पर हर कमी के लिए केंद्र को दोषी ठहराना आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार पर जब इन पार्टियों का दबाव बढ़ेगा तो वह भी लोकलुभावन राजनीति करने के लिए मजबूर हो जाएगी। यदि ऐसा होता है, तो यह केंद्र के ‘विकास एजेंडे’ के लिए हानिकारक होगा।
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